Book Title: Karmagrantha Part 5
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur

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Page 4
________________ ( ५ ) प्राप्त हुआ और इतने गहुम ग्रन्थ का विवेचन सहजगम्य बन सका । मैं उक्त सभी विद्वानों का असीम कृतज्ञता के साथ आभार मानता हूँ । श्रद्धेय श्री मरुधर केसरीजी महाराज का समय-समय पर मार्ग - दर्शन, श्री रजतमुनिजी एवं श्री सुकनमुनिजी की प्रेरणा एवं साहित्य समिति के अधिकारियों का सहयोग विशेषकर समिति के व्यवस्थापक श्री सुजानमलजी सेठिया की सहृदयता पूर्ण प्रेरणा व सहकार से ग्रन्थ के सम्पादन - प्रकाशन में गतिशीलता आई है, मैं हृदय से आभार स्वीकार करू - यह सर्वथा योग्य ही होगा । विवेचन में कहीं त्रुटि, सैद्धान्तिक भूल, अस्पष्टता तथा मुद्रण आदि में अशुद्धि रही हो तो उसके लिए मैं क्षमाप्रार्थी है और हंसबुद्धि पाठकों से अपेक्षा है कि वे स्नेहपूर्वक सूचित कर अनुगृहीत करेंगे। भूल सुधारं एवं प्रमाद परिहार में सहयोगी बनने वाले अभिनन्दनीय होते हैं। बस इसी अनुरोध के साथ द्वितीयावृत्ति "कर्मग्रन्थ " भाग ५ का यह द्वितीय संस्करण छप रहा है। आज स्व. गुरुदेव हमारे बीच विद्यमान नहीं हैं, किन्तु उनके द्वारा प्रदत्त ज्ञान निधि, आज भी हम सबका मार्गदर्शन कर रही है। गुरुदेवधी के प्रधान शिष्य उपप्रवर्तक श्री सुकनमुनिजी उसी ज्ञान ज्योति को प्रज्वलित रखते हुए आज हम सबको प्रेरणा एवं प्रोत्साहन दे रहे हैं, उन्हीं की शुभ प्रेरणा से "कर्मग्रन्थ " का यह द्वितीय संस्करण पाठकों के हाथों में पहुँच रहा है । प्रसन्नता । विनीत - श्रीचन्द सुराना 'सरस'

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