Book Title: Karmagrantha Part 5
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
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मूल प्रकृतियों में भूयस्कर बंध की संख्या का विवेचन ....६० मूल प्रकृतियों में अल्पनर बंध की संख्या मूल प्रकृतियों में अवस्थित बंध की संख्या . .
मूल प्रकृतियों में अवक्तव्य बंध न होने का कारण गाथा २३
१४-६६ भुयस्कार आदि बंधों के लक्षण
भूयस्कार मादि बंधों विषयक विशेष स्पष्टीकरण . . ६६ गाथा २४
दर्शनावरण कर्म के बंधस्थान आदि की संख्यां ... ... ... .. मोहनीय कर्म के बधस्थान की संख्या
मोहनीय कर्म के भूयस्कार आदि वन्ध गाथा २४
१४-११५ नामकर्म के बन्धस्थानों का विवेचन नामकर्म के बन्धस्थानों में भूयस्कार आदि बन्ध १११ नामकर्म के बन्धस्थानों में सातवें भूयस्कार के सम्बन्ध में: स्पष्टीकरण आठ कर्मों की उत्तर प्रकृतियों के बन्धस्थाम तथा भूय- ।
स्कार आदि बंधों का कोष्टक गाथा २६, २७
. ११५-१२२ मूल कर्मों की उत्कृष्ट स्थिति
मूल कर्मों की जघन्य स्थिति व उसका स्पष्टीकरण . ११७ गाथा २८
.. १२२-१२४ ज्ञानावरण, दर्शनावरण, अन्तराय कर्म को सभी उत्तर : प्रकृतियों की उत्कृष्ट स्थिति असाता वेदनीय और नामकर्म की कूछ उत्तर प्रकृतियों -। . की उत्कृष्ट स्थिति