Book Title: Karmagrantha Part 5
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
________________ परिशिष्ट-४ / 187 236 168 146 2 " 214 --.:- ...... - थिर सुमियर विणु थोणतिगं अणमिच्छ दसणछा भयकुम्छा दम्चे खिसे काले दस सृहविगइ उच्चे दो इगमासो पक्खो नपुकुखगइसासंघउ नमिय जिणं ध्रुवबंधो ना छ वन से नामध्रुवबंधिनवगं नाम धुवोदय च उतणु निवुच्छरसो सहजो निदापयला दुजयल निमिण थिर अयिर अगुरुय नियजाइलद्धदसिया पहखणमसंखगुण पढमविया धुवउदाइ पम तिगुणेस मिच्छ पण अनियट्टी सुबगह पणसद्विसहस्स पणसय पलियाप्तखंसमुहू बायालघुघ्नपगई भयकुच्छमरइ सोए मिच्छ अजयचउ आज मुत्तु अकसाय ठिई मूलपमीण अट्ट , लड्डु ठिबंधो संजलण 26 लहु बिय पन्ज अपज्जे 243 लोगपएसो सम्पिणि 348 वन चलतेयकम्मा :23 विश्चिमुराहारदुर्ग 126 विगलसुहमाउंगतिम 144 विगलिअसन्निम जिट्टो 127 विग्धावरणअसाए 1 दिग्धावरणे सुहमो 64 विधापरणे मोहे 67 बिजयाइसु विज्जे 76 बोसयरकोडिकोडी 233 संजलण नोकसाया 341 मा समझिम गिर 26 समयादसंखकालं 286 समयार्दतमुहत्त 206 सम्मदरमस्व विरई 22 सब्बाणबि लहुबंधे 42 सन्याणवि जिछठिई 341 साणाइ अपुच्छते 157 सायजसुच्यावरणा 306 सासणमी सेस धुवमीसं 63 समुणी दुन्नि असन्नी 127 सुरनरतिगुच्च साय 336 सुहमनिगोयाइखण 115 सेहिअविजंसे 88 सेसम्मि दुहा 143 हासाइजुयलदुगवेय - .-... -- ~ 196 184 170 344 193 365 .. 14
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