Book Title: Karmagrantha Part 5
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
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( ४० )
शेष घातिक कर्मों का क्षपणक्रम
सयोगि और अयोगिकेवली स्थानों में होने वाले कार्य ग्रन्थ का उपसंहार
परिशिष्ट
१. पंचम कर्मग्रन्थ की मूलगाथायें
२. कर्मों की बन्ध, उदय, सत्ता प्रकृतियों की संख्या में भिन्नता का कारण
३. मोहनीय कर्म की उत्तर प्रकृतियों में भूयस्कार आदि बंध
४. कर्म प्रकृतियों का जघन्य स्थितिबन्ध
५. आयुकर्म के अबाधाकाल का स्पष्टीकरण ६. योगस्थानों का विवेचन
७. ग्रहण किये गये, कर्मस्कन्धों को कर्म प्रकृतियों में विभाजित करने की रीति
5. उत्तर प्रकृतियों में पुद्गलद्रव्य के वितरण तथा हीनाधिकता का विवेचन
६. पल्थ को भरने में लिये जाने वाले बालायों के बारे में अनुयोगद्वार सूत्र आदि का कथन
१०. दिगम्बर साहित्य में पत्योपम का वर्णन
११. दिगम्बर ग्रन्थों में पुद्गल परावर्तों का वर्णन १२. उत्कृष्ट और जघन्य प्रदेशबन्ध के स्वामियों का गोम्मटसार कर्मकांड में आगत वर्णन
१३. गुणश्रेणि की रचना का स्पष्टीकरण
१४. क्षपकश्र णि के विधान का स्पष्टीकरण १५. पंचम कर्मग्रन्थ की गाथाओं की अकाराद्यनु
क्रमणिका
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૨૨
३६०
३६७
३६६
४०१
४०६
४११
४१७
૪
૪૨
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४३८
४३६
४४९
४४४
४४६
४५१
४५.५