Book Title: Karmagrantha Part 5
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
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( ३५ )
स्थितिबन्ध का प्रमाण
द्वीन्द्रिय, श्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय और असंज्ञी पंचेन्द्रिय जीव के उत्कृष्ट तथा जघन्य स्थितिबन्ध का प्रमाण आयुकर्म की उतर प्रकृतियों की जघन्य स्थिति
गाथा ३६
गाथा ४०,
जघन्थ अबाधा का प्रमाण
तीर्थंकर और आहारकाद्वेक नामकर्म की जघन्य स्थिति के
सम्बन्ध में मतान्तर
४१
क्षुल्लकभव के प्रमाण का विवेचन
१५३
१५४
१५५ - १५६
१५५
गाथा ४२
तीर्थंकर आहारकद्विक और देवायु के उत्कृष्ट स्थितिबंध के स्वामी व तत्सम्बन्धी शंका-समाधान
शेष प्रकृतियों के उत्कृष्ट स्थितिबंध के स्वामी
१५६
१५७-१६०
१५८
१६०-१६८
गाथा ४३, ४४, ४५
चारों गति के मिथ्यादृष्टि जीव किन-किन प्रकृतियों के उत्कृष्ट स्थितिबंध के स्वामी हैं ?
जघन्य स्थितिबंध के स्वामियों का कथन
गाथा ४८
गुणस्थानों की अपेक्षा स्थितिबंध का विचार
१५०
१६१
१६६
१६८-१७६
गाथा ४६
भूल
कर्म प्रकृतियों के स्थितिबंध के उत्कृष्ट आदि भेदों में सादि वगैरह भंगों का विचार
१६
१७४
१७६-१५०
गाथा ४७
उत्तर कर्म प्रकृतियों के स्थितिबंध के उत्कृष्ट आदि भेदों में सादि वगैरह भंगों का विचार
१७७
१८०-१८३
१८१
१६४ - १८७
१८४