Book Title: Karmagrantha Part 5
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
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गाया ७
२६-३६ अध वोदय प्रकृतियों के नाम उक्त प्रकृतियों के अन वोदय होने का कारण बन्न एवं उदय प्रकृतियों में अनादि, अनन्त आदि भंगों का
स्पष्टीकरण गाथा ८,
३६-४१ नव और अन व सत्ता वालो प्रकृतियों के नाम ध्रव और अनब सत्ता प्रकृतियों के कथन करने वाली संज्ञाओं का विवरण धव और अध्र व सत्ता प्रकृतियों की संख्या अल्पाधिक होने का कारण १३० प्रकृतियों के ध्र व सत्ता वाली होने का कारण ४०
२८ हतियों के अनसता काली होने का स्पष्टीकरण ४१ गाथा १०, ११, १२
४२-५१ गुणस्थानों में मिथ्यात्व और सम्यक्त्व प्रकृति की सत्ता का विचार मिथ मोहनीय और अनन्तानुबंधी कषाय की सत्ता का नियम आहारक सप्तक और तीर्थंकर प्रकृति की सत्ता का नियम मिथ्यात्व आदि पन्द्रह प्रकृतियों की सत्ता का गुणस्थानों
में विचार करने का कारण गाथा १३, १४
५२-६२ सर्वघातिनी, देशघातिनी और अधातिनी प्रकृतियाँ प्रकृतियों के घाति और अधाति मानने का कारण सर्वघातिनी प्रकृतियां कौन-कौनसी और क्यों ? देशघातिनी प्रकृतियां कौन-कौनसी हैं और क्यों ? सर्वपाति और देशघाति प्रकृतियों का विशेष स्पष्टीकरण
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