Book Title: Karmagrantha Part 5
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur

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Page 433
________________ ३६६ सिद्ध अवस्था की प्राप्ति १४८ प्रकृतियों का क्षय १२/१३ प्रकृतियों का क्षय (१४वे गुणस्थान में ) ७२/७३ प्रकृतियों का क्षय (१३वें गुणस्थान में ) ज्ञानावरण ५, दर्शनावरण ४, अंतराय ५ = १४ (१२ गुणस्थान में) दो निद्रायें २ (१२ गुणस्थान के उपरांत समय में ) संज्वलन लोभ १ (दसवे गुणस्थान में ) संज्वलन माया १ संज्वलन मान १ संज्वलन क्रोध १ पुरुपवेद १ हास्यादि षट्क ६ स्त्रीवेद १ नौवें गुणस्थान में नपुंसकवेद १ एकेन्द्रिय आदि १६ अप्रत्याख्यानावरण क्रोध, मान, माया, लोभ, प्रत्याख्यानावरण क्रोध, मान, माया, लोभ ( देव, नरक, तिर्यंच आयु ३ सम्यक्त्वमोहनीय ३ मिश्र मोहनीय २ मिथ्यात्व मोहनीय १ अनंतानुबंधी क्रोध, मान, माया, लोभ गुणस्थान में ) शतक (४, ५, ६, ७ वें गुणस्थान में )

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