Book Title: Karmagrantha Part 5
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur

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Page 441
________________ Y. परिशिष्ट-१ बउठाणाई असूहा सुहानहा विग्धदेसघाइआवरणा । पुमसंजलणिगदुतिचलठाणरसा सेस दुगमाई ।।६४।। निबुचारसो महजो दुतिचउभाग कति इक्कभागंतो । इगठाणाई अमुहो असुहाण सुहो मुहाणं तु ||६५।। तिध्यमिगथावरायव सुरमिच्छा विगलसुहुनिरयतिगं । तिरिमणुयाउ तिरिनरा तिरिदुगछेवट्ठ सुरनिरया ॥६६।। विश्वमुराहारदुगं सुखगइ बन्नचाउतेजिणसायं ।। समाजसन्दरा पदिय गुब्द बाम ।।७।। तमतमगा उज्जोयं सम्मसुरा मणय उरलदुगवइरं । अपमत्तो अभराउं उगइमिच्छा उ सेसाणं ॥६८।। यीणांतनं अमिच्छ मंदरसं संजमुम्मुहो मिच्छो। बिर्यातयकसाय अविरय देस पमत्तो अरइसोए ६Ell अपमाई हारगदुर्ग दुनिअसुबन्नहासरइकुच्छा । भयमुबघायमपुवो अनियट्टी पुरिससंजलणे ||७०।। बिग्घाबरणं सुहुमो मणुतिरिया सूहमबिगलतिमआऊ। वेगविछक्कममरा निरया उज्जोयउरलदुगं ।।७१t तिरिदुगनिअंतमतमा जिणमविरय निरयविणिगथावरयं । आसुहुमायव सम्मो व सायथिरसुभजसा सिमरा ।।७२।। तसवन्नतेयचउमणुखमइदुग पणिदिसासपरधुच्छ । संघयणागिइनपुत्थीसुभगियरति मिच्छा बजगइगा ।।७३|| चउतेयबन्नवेयणिय नामणुक्कोस संसधुवबंधी । घाईणं अजहन्नो गोए दुविहो इमो चउहा ॥७४।। सेममि दुहा इगदुगणुमाइ जा अभवणंतगुणियाण । खंधा उरलोचियवग्गणा उ तह अगहणतरिया ।।७।। एमेव विउब्वाहारतेयभामाणुषाणमणकम्मे । कमावगाहो ऊणूणंगुलअसंखेसो ७६|| सुहमा

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