Book Title: Karmagrantha Part 5
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
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पंचम कर्मग्रन्थ
४०७
इक्किक्कहिया सिद्धाणंतसा अंतरेसु अग्गहणा। सब्वस्थ जहन्नुचिया नियतसाहिया जिट्ठा ।।७॥ अंतिमचउफामदुगंधपंचवन्नरसकम्मखंघदले । सजियपंतागरसमानता
1941) एमपएसोगाढं नियसब्वपएसउ गहेइ जिऊ। थेवो आउ तदसो नाम गोए समो अहिउ ।।७।। विग्धावरणे मोहै सन्योवरि वेयणीय जेणापे । तस्स फुडत्त' न हधइ ठिईविसेसेण सेसाणं ॥२०॥ नियजाइलद्धदलियाणतंसो होइ सन्वघाईणं । बझंतीण विभज्जई सेसं सेसाण पइसमयं ।। ८११ सम्मदरसत्वविरई अणविसंजोयदसखवगे य । मोहसमसतखवगे खीणसजोगियर गुणसेढी ॥२॥ गुणसेढी दलरयणाऽणुसमयमुदयावसंखगुणणाए । एयगुणा पुण कमसो असंखगुणनिज्जरा जीवा ||८३॥ पलियासंखसमूह सासणइयरगुण अंतरं हस्सं । गुरु मिच्छी बे सट्ठी इयरगुणे पुग्गलद्धतो उद्धारअद्धखित्त' पलिय तिहा समयवाससयसमाए । केसवहारो
दीवोदहिआउतसाइपरिमाणं ।।५।। दब्वे खित' काले भावे चउह दुह बायरो सुहमो । होइ अणंतुस्सप्पिणिपरिमाणो पुग्गलपरलो ।।८६।। उरलाइसत्तगेणं एमजिउ मुबइ फुसिय सवअणू । जत्तियकालि स थूलो दब्वे मुहमो सगन्नयरा ।।८।। लोगपएसोसप्पिणिसमया अणुभागबंधठाणा य । जह तह कममरणणं पुट्ठा खिताइ धूलियरा ॥८॥ अप्पयरपयडिबंधी उक्कडजोगी य सन्निपजत्तो। कुणइ पएसुक्कोसं जहन्नयं तस्स बन्चासे ॥
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