Book Title: Karmagrantha Part 5
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
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पंचम फर्मग्रन्थ
४०५
तो जइजिहो बंधो मखगुणो देसविरय हस्सियो । सम्मचउ सन्निचउरो ठिइबंधाणुकम संखगुणा ॥५१॥ सव्वाण वि जिहांठई असुभा ज साइकिलसेण । इनरा विसोहिओ पुण मुत्तु नरअमरतिरिया ॥५२॥ सुहमनिगोयाइखणप्पजोग बायरयविभलअमणमणा । अपज लहु पढमदुगुरु पजहस्सियरो असंखगुणों ।।३।। अपजत्त तसुक्कोसो पज्जजन्नियर एब ठिइठाणा । अपजेयर संखगुणा परमपजबिए असंखगुणा ॥५४|| पइखणमसंखगुणविरिय अपज पइठिहमसंखलोगसमा । अज्झवसाया अहिया सत्तसु आउसु असंखगुणा ।।'५५।। तिरिनरयतिजोयाणं नरभवजुय सचउपल्ल तेसट्ठ 1 थावरचउगविगलायवेसु पणसीइसयमयरा ।।५६।। अपढमसंघयणागिइखगई अणमिच्दुभगथीणतिगं । निय नए इत्थि दुतीसं पणिदिसु अबन्धठिइ परमा ||५७।। विजयाइसु गेविज्जे तमाइ दहिसय दुतीस तेसटें । पणसीइ सययबंधो पल्लतिगं मुरविउविदुगे ॥५८।। समयादसंखकालं तिरिदुगनीएस आउ अंतमुहू । उरलि असंखपरट्टा साठिई पुनकोडणा ॥५६|| जल हिसयं पणसोयं परघुस्सासे पणिदितसचउगे । बत्तीसं सुद्दविहगइपुमसुभगतिगुच्चच उरसे ।।६०।। असुखगइजाइआगिइ संघवणाहारनरयजोयदुर्ग । थिरमुभजसथावरदसनपुइत्थीदुजुयलमसायं
॥६॥ समयादतमुहन मणुदुर्गाजणवइरउरलवंगेसु । तित्तीसयरा परमा अंतमुह लहू वि आउजिणे ॥६२।। तिब्बो असुहसुहाणं संकेसविसोहिओ विवजयउ । मंदरसो गिरिमहिरयजलरेहासरिसकसाएहि ।।६३।।
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