Book Title: Karmagrantha Part 5
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
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परिशिष्ट- १
बिगलिअसन्नि जिलो कणिउ पल्लसंखभागुणो । सुरनरमाउ समादससहस्स ससाउ खुड्ड़भवं ||३८|| सव्वाणवि लहुबंधे भिन्नमुहू अबाह आउजिवि । केइ सुराउसमं जिणमंतमुहू बिति आहारं ||३६|| सत्तरससमहिया किर इगाणुषाणुमि हुति खडुडभवा । सगतीससयत्तिहत्तर पाण
पुण इगमुहुत्त मि ॥४०॥
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पण सकििसह स्सपणसय छत्तीसा इगमुहुत्तखुड्डभवा । आवलियाणं दोसय छप्पन्ना एगखुड्डभवे ।।४१।। अविरयसम्मो तित्थं आहारदुगामराउ य पत्तो ।
मिच्छद्दिट्टी बंध जिदुठिई सेसपयडी ||४२ ॥ विगलसुहुमाउगतिगं तिरिमश्या सुरविउब्धिनिरयदुगं । एगिदिथायरायव आईसाणा सु+कोसं ||४३|| तिरिउरलदुज्जयं बिट्टु सुरनिरय सेस चउगइया | आहारजिणमपुत्रोऽनिर्वादिठ संजलण पुरिस लहु ||४४ || सायजसुकवावरणा विग्धं सुमो विउविछ असन्नी । सन्नीवि बायरपज्जेगिदिउ सेसा ।। ४५ । उक्कोस जहन्नेयरभंगा साइ अगाइ ध्रुव अध्रुवा । उहा संग अजहन्नो संसतिगे आउचउनु दुहा ॥ ४६ ॥ उभेओ अजहरनो संजलणावरणमवगविग्धाणं । सेततिगि साइअधुवो तह चउहा सेसपयडीएं ॥४७॥२ साणा अयुव्वते अयरंतो कोडिकोडिओ न हिगो । बंधो न हू होणो न य मिच्छे भव्विय रसन्निमि ||४८ || जइलहुबंधी वायर पज्ज असंखगुण सुहुमपज्जहिंगो । एसि अपज्जाण लहू सुहमेअरअपजपज्ज गुरू ||४३|| लहु बिय पज्जअपज्जे अपजेयर बिय गुरू हिगो एवं । ति चउ असन्निसु नवरं संखगुणो बियममणपज्जे ।। ५० ।।
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