Book Title: Karmagrantha Part 5
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur

Previous | Next

Page 438
________________ पंचम कर्मप्रत्य ठाणमि ||२५|| तिपण छञटुनबहिया वीसा तीगतीस इस छसगअद्रुतिबन्धा सेसेसु य वीसयरकोडिकोडी नामे गोए नामे गोए य नत्तरी मोहे | तीसवर चउसु उदही निरयसुराउंीम तित्तीसा ॥२६॥ मुहुत्ता जहन्न वेयणिए । सस एसु मुत्त तो ॥२७॥ अट्ठार मुहुमविगलतिगे । दुसुबरिमेसु दुगवुड्ढी ||२८|| मुत्त अकसाथडिई बार अट्ठट्ठ नामगोएस विग्धावरण असाए तो पढमासिंघणे दस चालीस कसाएसुं मिउलहु निद्ध हसुर हिसियमहुरे । दस दोसद्द्दसमहिया ते हालिद बिलाई ||२३|| दस सुहविहगई उच्चे सुरदुग थिरक्क पुरिमरहासे । मिच्छे सप्तरि इस विजव्वितिरिउरल निरयदुगनोए । पन्नरस ॥ ३० ॥ भमकुच्छअरइसोए I तेयपण अथिरछक्के तसत्रउथावरङ्गपर्णदी ||३१|| नपुकुखग इसासचउगुरुक+खरुखसी यदुगंधे वीसं कोडाकोडी एवइयावाह वाससया ||३२|| गुरु कोडिकोडितो तित्थाहाराण भिन्नमुहु बाहुा । लहुलिइ संखगुणूणा नरतिरियाणाउ पल्लत्तिगं ||३३|| इगविगलपुब्वकोटि पलियासंखंस आउचउ भ्रमणा । निरुवकमाण ज्यासा अवाह संसाण भवतंसो ||३४|| लहुबंधो तंजलणलोहपणविग्वनागदंसेसु । य साए ||३५|| भिन्नमुत' ते अटु जसुच्चे बारम दो मास पक्खी संजलगति साक्कोसाओ अयमुक्कोंसो गिदिसु पलियासंखसहीण लहुबंधो । कमसो पणवीसाए पन्नासयस हस्ससंगुणिओ ||३७|| मिच्छत्त लिईड जं ܂ नामे | | पुमट्टवरिसाणि 1 ४० ३ लङ्घ' ||३६||

Loading...

Page Navigation
1 ... 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491