Book Title: Karmagrantha Part 5
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
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तथा ऊपर की ओर चार-चार राजू होता है किंतु ऊँचाई सर्वत्र सात राजू ही रहती है । जैसे---
2/2
뻘
पार्टीक
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इस अधोलोक के बीच से दो खण्ड यह आकार होता है करके दोनों भागों को उलट कर खने पर
अधोलोक का समीकरण करने के बाद अब ऊर्ध्वलोक का समीकरण करते हैं । ऊर्ध्वलोक मध्यभाग में पूर्व पश्चिम ५ राजू चौड़ा है । उसमें से मध्य के तीन राजू क्षेत्र को ज्यों का त्यों छोड़कर दोनों ओर से एक-एक राजू के चौड़े और साढ़े तीन साढ़े तीनराज के ऊंचे दो त्रिकोण खंड लें । उन दोनों खंडों को मध्य से विभक्त करने पर चार त्रिकोण खंड हो जाते हैं । जिनमें से प्रत्येक खंड की भुजा एक राजू और कोटि पौने दो राज होती है। इन चारों खंडों को उलटा सीधा करके उनमें से दो खंड ऊर्ध्वलोक के अधोभाग में दोनों ओर और दो खंड उसके ऊर्ध्वभाग के दोनों ओर मिला देना चाहिये । ऐसा करने पर ऊर्ध्व लोक की ऊँचाई में तो अन्तर नहीं पड़ता किन्तु उसका विस्तार सर्वत्र तीन राज हो जाता है । उक्त कथन का रूप इस प्रकार होगा