Book Title: Karmagrantha Part 5
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
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शतक
प्रदेशबंध का कारण उत्कृष्ट योग नहीं होता है। इसीलिये पहले और चौथे से लेकर सातवें गुणस्थान के सिवाय शेष गुणस्थानों में आयुकर्म का उत्कृष्ट प्रदेशबंध नहीं बतलाया है ।
दुसरे सासादन गुणस्थान में उत्कृष्ट योग न होने का कारण स्पष्ट कारते हुए गाथा की स्वोपज्ञ टीका में बताया है कि आगे मिथ्याष्टि गुणस्थान में अनंतानुबंधी कषाय के उत्कृष्ट और अनुत्कृष्ट प्रदेशबंध के सादि और अध्रुव दो ही प्रकार बतलायेंगे तथा सासादन में अनन्तानुबंधी का बंध तो होता ही है अतः वहां यदि उत्कृष्ट योग होता तो जैसे अविरत आदि गुणस्थानों में अप्रत्याख्यानावरण आदि प्रकृतियों का उत्कृष्ट प्रदेशवंध होने के कारण वहां उनके अनुत्कृष्ट प्रदेशबंध के भी मादि आदि चारों विकल्प बतलायेंगे वैसे ही सासादन में अनन्तानुबंधी का उत्कृष्ट प्रदेशबंध होने के कारण उसके अनुत्कृष्ट प्रदेशबंध के सादि आदि चारों विकल्प भी बतलाने चाहिये थे, किन्तु वे नहीं बतलाये हैं। अतः उससे ज्ञात होता है कि या तो सासादन का काल थोड़ा होने के कारण वहाँ इस प्रकार का प्रयत्न नहीं हो सकता या अन्य किसी कारण से सासादन में उत्कृष्ट योग नहीं होता है तथा आगे मतिज्ञानावरण आदि प्रकृतियों का सुक्ष्मसंपराय गुणस्थान में उत्कृष्ट प्रदेशबंध बतला कर शेष प्रकृतियों का उत्कृष्ट प्रदेशबंध आदि मिथ्यादृष्टि गुणस्थान में बतलायेंगे । जिससे यह ज्ञात होता है कि सासादन में उत्कृष्ट योग नहीं होता है।
इस प्रकार सासादन गुणस्थान में उत्कृष्ट योग का अभाव बतलाकर लिखा है कि जो सासादन को भी आयुकर्म के उत्कृष्ट प्रदेशबंध का स्वामी कहते हैं, उनका मत उपेक्षणीय है ।
'अतो ये सास्वादन मप्यायुष उत्कृष्ट प्रदेश स्वामिनमिनन्ति जन्मनमुपक्षणीयमिति स्थितम् ।' इस काथन से यह ज्ञात होता है कि कोई-कोई आचार्य सासादन में आयुकर्म के उत्कृष्ट प्रदेशबंध को मानते हैं ।