________________
विषय. अज्ञवैद्यके लक्षण सेवनीय वैद्य { स्थानकी निरुक्ति
अथ निदानस्थान |
१. ज्वरनिदान ।
निदानके पर्यायवाची शब्द त्रिविध निदान
इति सूत्रस्थान की अनुक्रमणिकां ।
व्यावियो के भेद
व्याधिक पर्याय शब्द रोग की उपलब्धि विषय
विहातुक लक्षण उन्मादो क्षण
- क्षण
के लक्षण
पर्याय
उ:
₹ ! पण
सेाप्ति भेद
संख्या संप्राप्ति के लक्षण प्राधान्य संप्राप्तिके लक्षण
विधि संप्राप्तिके लक्षण विकल्पसम्प्राप्ति के लक्षण
विशेष
पिचकोपका कारण
विषयानुक्रमणिका ।
पृष्ठांक.
प्रकुपितपित्तका कर्म
पित्तज्वर के लक्षण
कफ प्रकोपका कारण
प्रकुपित कफका कर्म -कफज्वर के लक्षण
४१४
४१६
.४१७
४१८
33
33
28
४१९
37
""
35
33
४२०
वलफालका लक्षण
विशेषता निदान कथन
ज्वर के भेद
वायुकोपका कारण अतिकुपित वायुका कर्म
वातज्वर के लिंगव अंगविशेषोंमें वेदना
"7
37
"y
४२१
38
97
४२२
""
४२३
99
૪૧૪
35
४२५
03
४२६
23
विषय.
द्वन्द्वजादिज्वरोंका निदान द्वन्द्वनादिज्वरों के लक्षण
आगन्तुस्वरका कारण व उसमें
दोषोत्पत्ति
ज्वरके भेद
ज्वर के पूर्वरूप
ज्वरका रूप
सोत्पत्तिक ज्वरका लक्षण ज्वरके पूर्व कर्तव्य कर्म
ज्वर में कर्तव्य
ज्वर में घृतपान
घृतको उत्कृष्टत्व
२. रक्तपित्तनिदान |
रक्तपित्तका कारण
·
रक्तके दूषित होनेका कारण रक्तपित्तनामका कारण
रक्तपित्तके पूर्वरूप
रक्तपित्तकें उपद्रव
ररित मार्ग
रक्तपित्त का साध्या साध्यत्व रक्तपित्तकी उत्पत्ति आदि रक्तपित्त में चिकित्साक्रम
साध्यसाध्य विवेचन साध्य रोगको असाध्य होनेका
असाध्यके विशेष लक्षण रक्तपिच कर्तव्यता
( २३ )
पृष्ठांक
३. गुल्मनिदान |
गुल्मों के भेद अभिवेशका प्रश्न
आयजीका उत्तर
वातकुपित होनेका कारण
प्रकुपित वातसे गुल्मकी उत्पत्ति
वातगुल्म के लक्षण वायुपित्त प्रकोपका कारण पित्तप्रकोप से गुल्म
४२७
37
Sy
४२८
"3
४२९
"8
४२०
37
४३१
$7
४३२
४३४
" " Do
72
22
४३५
n
:3
93
४३६
33
कारण ४३७
૪૩૮
21
15
"3
४३९
57
.४४०
""
'75 ४४१
"
22 ४४२
$3