Book Title: Ashtpahud
Author(s): Kundkundacharya, Shrutsagarsuri, Pannalal Sahityacharya
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
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-२. २८-२९] चारित्रप्राभृतम्
अमणुग्णे य मणुणे सजीवदव्वे अजोवदव्वे य । ण करेइ रायदोसे पंचेदियसंवरो भणिओ ॥२८॥
अमनोज्ञे च मनोजे सजीवद्रव्ये अजोवद्रव्ये च |
न करोति रागद्वेषो पंचेन्द्रियसंवरो भणितः ॥ २८ ॥ ( अमणुण्णे य ) अमनोज्ञे चासुन्दरे च ( मणुण्णे ) मनोज्ञे मनोहरे । ( सजीव दब्वे ) इष्टवनितादी । ( अजीव दन्वे य ) अजीव द्रव्ये चाचेतनद्रव्ये अशन-वसनकनक काचादिके (ण करेइ रायदोसे ) न करोति रागद्वेषे। मनोज्ञे रागं न करोति । अमनोज्ञे द्वेषं न करोति । (पंचिदियसंवरो भणिओ) पंचेन्द्रियसंवरो भणितः प्रतिपादितः ॥ २८॥
अथ पंचवया इत्येतत्पदविवरणार्थमाहहिंसाविरइ अहिंसा असच्चविरई अदत्तविरई य । तुरियं अबंविरई पंचम संगम्मि विरई य ॥२९॥ हिंसाविरतिरहिंसा असत्यविरतिरदत्तविरतिश्च । तुरीयमब्रह्मविरतिः पञ्चमं संगे विरतिश्च ॥२९॥
गाचार्य-मनोज्ञ और अमनोज्ञ चेतन तथा अचेतन पदार्थोंमें रागद्वेष नहीं करना पञ्चेन्द्रिय-संवर कहा गया है ।। २८॥
विशेषार्य-स्पर्शनेन्द्रिय के विषय-आठ प्रकार के स्पर्श हैं-१ शीत २ उष्ण ३ स्निग्ध ४ रुक्ष ५ कोमल ६ कड़ा ७ लघु और ८ भारी । रसना इन्द्रियके विषय पांच प्रकारके रस हैं। १ खट्टा २ मोठा ३ कडुआ ४ कषायला और ५ चपरा। घ्राणेन्द्रियके विषय दो गन्ध हैं-१ सुगन्ध और २ दुर्गन्ध | चक्षुरिन्द्रियके विषय पाँच प्रकारके वर्ण हैं-१ काला २ पीला ३ नीला ४ लाल और ५ सफेद । कर्णेन्द्रियके विषय सात प्रकारके स्वर हैं१षड्ज २ ऋषभ ३ गान्धार ४ मध्यम ५ पञ्चम ६ धैवत और ७ निषाद। ये सब विषय इष्ट अनिष्ट के भेदसे दो दो प्रकारके हैं। इष्ट विषयों में राग नहीं करना और अनिष्ट विषयोंमें द्वेष नहीं करना; पञ्चेन्द्रिय संवर अथवा पञ्चेन्द्रियदमन कहलाता है ।। २८ ।।
आगे पाँचवतोंका वर्णन करते हैं
गाथार्थ-हिंसाविरति अर्थात् अहिंसा, असत्यविरति, अदत्तविरति, बब्रह्मविरति और सङ्गविरति ये पांचव्रत हैं ।।२९॥
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