Book Title: Ashtpahud
Author(s): Kundkundacharya, Shrutsagarsuri, Pannalal Sahityacharya
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
View full book text
________________
६५४
षट्नाभृते
[ ६. ७९
(जे पावमोहियमई ) ये मुनयः पापमोहितमतयः पापेन ब्रह्मचर्यभंगप्रत्याख्यानभंजनादिना मोहिता लोभं प्रापिताः पापमोहितमतयः। ( लिंग घेत्तण जिणवरिदाणं) लिंगं चिन्हं मुद्रां नग्नत्वं वस्त्रमात्रोपेतक्षुल्लकत्वं च चक्रवर्तिलिगं, घेत्तूण गृहीत्वा धृत्वा, जिनवरेन्द्राणां तीर्थकरपरमदेवानां । ( पावं कुणंति पावा ) पापं ब्रह्मचर्यभंगादिकं कुर्वन्तिपापानिपापमूर्तयः पापरूपाः । ( ते चत्ता मोक्खमग्गम्मि) ते जिनलिंगोपजोविनः त्यक्ताः पतिता मोक्षमार्गादित्यर्थः । उक्तं च
अन्यलिंगकृतं पापं जिनलिंगेन मुच्यते । जिनलिंगकृतं पापं वज्रलेपो भविष्यति ॥१॥ जे पंचचेलसत्ता गंथग्गाहीय जायणासोला। आधाकम्मम्मि रया ते चत्ता मोक्खमग्गम्मि ॥७९॥
ये पञ्चचेलसक्ताः ग्रन्थग्राहिणः याचनशीलाः। .
अधःकर्मणि रताः ते त्यक्ताः मोक्षमार्गे ॥७९|| (जे पंचचेलसत्ता ) ये मुनयः पंचचेलसक्ताः पंचविधवस्त्रलंपटा अंडजवुडज-वल्कज--चर्मज-रोमजपंचप्रकारवस्त्रेष्वन्यतमं वस्त्रप्रकारं परिदधत्युपदधति च। ( गंथग्गाहीय जायणासीला ) ग्रन्थग्राहिणो रिक्थस्वीकारिणः, याचनाशीलाः
विशेषार्थ-जो ब्रह्मचर्य भंग तथा प्रत्याख्यान भंग आदि पापोंसे मोहित बुद्धि होकर जिनेन्द्र देवका लिङ्ग अर्थात् नग्न दिगम्बर मुद्रा और चक्रवर्ती का पद अर्थात् वस्त्रमात्र परिग्रह के धारक क्षुल्लक का पद ग्रहण करके भी पाप करते हैं ब्रह्मचर्य भङ्ग आदि पाप कर बैठते हैं वे पापी हैं तथा मोक्षमार्ग से पतित हैं। जैसा कि कहा है___ अन्यलिङ्ग–अन्य लिङ्गसे किया पाप जिनलिङ्ग से छूटता है और जिनलिङ्ग के द्वारा किया हुआ पाप वज्रलेप होता है ।।७८॥
गाथार्थ-जो पांच प्रकार के वस्त्रों में आसक्त हैं, परिग्रह को ग्रहण करने वाले हैं, याचना करते हैं तथा अद्यः कर्म-निन्द्य कर्म में रत हैं वे मुनि मोक्षमार्ग से पतित हैं।
विशेषार्थ-अण्डज, बुण्डज, वल्कज, चर्मज और होमज के भेदसे वस्त्रके पांच भेद हैं। जो मुनि इन पांच प्रकार के वस्त्रों में से किसी एक वस्त्र में आसक्त हैं, किसी काज से धन स्वीकृत करते हैं, याचना करना जिनका स्वभाव पड़ गया है और जो अधः कर्म में निन्द्यकम में रत हैं वे
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org