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भावप्राभृतम्
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सत्पुरुषा हि हितभाषिणो भवन्ति । जटाकलापसंजातयूकालिक्षाभिघट्टनं सततं स्नानेन जटामध्यलग्नमृतमीनकान् दह्यमानकाष्ठमध्यस्थितकीटकान् प्रदर्श्य इदं तवाज्ञानामति प्राबोधयत् काललब्धिमाश्रित्य स वशिष्ठः सुवीर्भूत्वा गुणभद्रचरणान्ते तपो निग्रन्थ गृहीत्वा सोपवासमातापनयोगं जग्राह । तत्तपोमाहात्म्यात् सप्तव्यन्तरदेवता अग्रतः स्थित्वा ब्रुवन्ति स्म - मुने ! आदेशं देहीति । मुनिराह - इदानीं मम प्रयोजनं नास्ति गच्छत यूयं । जन्मान्तरे मच्छिष्टि करिष्यथ । एवं तपः कुर्वन् वशिष्ठः क्रमेण मथुरापुरीमाजगाम । तत्र मासोपवासी सन्नातापनयोगे स्थितवान् । स उग्रसेनेन राज्ञा दृष्टः । भक्तिवशेन पुर्यां घोषणां कारयामास -- अयं मुनिमंद्गृहे एव भिक्षां गृह्णातु नान्यत्रेति । सोऽपि पारणादिने मथुरां जगाम । तत्राग्नि
सब जाओ । जन्मान्तर में मेरा शेष कार्य पूरा करना । इप प्रकार तप करते हुए वशिष्ठ मुनि क्रम क्रमसे मथुरापुरी में आये । वहाँ एक मासके उपवासका नियम लेकर वे आतापन योग में स्थित हो गये । राजा उग्रसेन ने उनके दर्शन किये तथा भक्ति-वश नगर में घोषणा करा दी कि ये मुनि मेरे घर ही भिक्षा ग्रहण करें, अन्यत्र नहीं ।
पारणा के दिन मुनिराज भी मथुरा गये परन्तु वहाँ उठती हुई अग्निको देख लौटकर वनमें वापिस आगये और एक महीने के उपवास का नियम लेकर ध्यानारूढ होगये । मासोपवास समाप्त होने पर वे पुनः पारणा के निमित्त नगर में गये, परन्तु याग हस्तीका क्षोभ देखकर वन • में लौट आये, पुनः एक मासके उपवास कर पारणा के लिये नगर गये परन्तु उस दिन जरासन्ध का पत्र देखकर राजा व्यग्रचित्त था इसलिये मुनि फिर लौट आये। जब अत्यन्त दुर्बल शरीर के धारक वसिष्ठ मुनि लौट रहे थे तब उन्हें देख किसी मनुष्य ने कहा कि यह राजा मुनि को मारे डालता है, स्वयं भिक्षा देता नहीं है और दूसरों को रोकता है, न जाने इसका क्या अभिप्राय है ? यह सुनकर वशिष्ठ मुनिने पापके उदय से निदान किया कि मैं अपने दुष्कर तपके फल-स्वरूप इस राजा का पुत्र होऊँ और इसका निग्रह कर इसका राज्य ग्रहण करूँ । इस खोटे परिणाम से मरकर वह राजा उग्रसेन की पद्मावती रानी के गर्भ में पुत्र रूपसे स्थित हुआ । गर्भस्थित बालक की क्रूरता से उसे दोहला हुआ कि मैं राजा के हृदय का मांस खाऊँ । उस मांसको न पाने से वह दुर्बल हो गई। यह जान कर मन्त्रियोंने कृत्रिम मांस देकर उसका दोहला पूरा कर दिवा सो ठीक ही है विद्वान् क्या नहीं कर सकते हैं ? मनोरथ पूर्ण होनेपर
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