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व्याकुल 3. मूक-णः 1. लाल रंग, उषा का रंग या प्रातः । अरुष-ष्ट (वि.) [न० त०] अक्रुद्ध, शान्त । कालीन संध्यालोक, 2. सूर्य का सारथि-मूर्त ऊषा, | अरुष (वि.)[न० त०] 1. अक्रुद्ध, 2. चमकोला, उज्ज्वल । ----आविष्कृतारुण पुरःसरःएकतोऽर्क:-श०४११, ७४ | अरुन् (वि.) [ऋ+उसि] घायल, चोट खाया हुआ,विभावरी यद्यरुणाय कल्पते -कु० ५।४४, रघु० (पु-ह:) 1. आक का पौधा, मदार 2. लाल ५।७१, 3. सूर्य-रागेण बालारुणकोमलेन कु० ३।३०, खदिर,--(नपुं०) 1. मर्मस्थल, घाव, ब्रण (पुं० भी)। संसृज्यते सरसिजैररुणांशुभिन्नः ---रघु० ५।६९,-णम् 1 सम० --कर (वि.) क्षतविक्षत करने वाला, घायल लाल रंग, 2. सोना 3. केसर। सम०-अग्रजः करने वाला। गरुड,--अनुजः,-अबरजः अरुण का छोटा भाई, गरुड़, अरूप (वि०) [न००] 1. रूप रहित, आकार शुन्य ---अचिस् (पुं०) सूर्य,- आत्मजः 1. अरुण का पुत्र 2. कुरूप, विरूप 3. विषम, असम,-पम् 1. एक बुरी या जटायु, 2. शनि, सार्वाण मनु, कर्ण, सुग्रीव, यम और भद्दी आकृति 2. सांख्यों का प्रधान तथा वेदान्तियों अश्विनीकुमार (-जा) यमुना, ताप्ती,-क्षिण (वि.) का ब्रह्म। सम०-हार्य (वि.) जो सौन्दर्य से लाल आँखों वाला-उदयः दिन निकलना, उषा, आकृष्ट या वशीभूत न किया जा सके, अरूपहार्य ..-चतस्रो घटिका प्रातररुणोदय उच्यते,-उपल: लाल, मदनस्य निग्रहात्-कु० ५।५३ ।। कमलम् लाल कमल,-ज्योतिस् (पुं०) शिव,-प्रियः
अरूपक (वि.) [न० ब०] बिना किसी आकृति या रूपक लाल फूल या कमलों का प्यारा, सूर्य (-या) 1. सूर्य
के, जो आलंकारिक न हो, शाब्दिक । पत्नी 2. छाया,-लोचन (वि.) लाल आंखों वाला(-नः)
अरे (अव्य०) [ऋ+ए] एक संबोधनात्मक अव्यय-(क) कबूतर, सारथिः जिसका सारथि अरुण है, सूर्य।।
छोटों को बुलाने के लिए--आत्मा वा अरे द्रष्टव्यः गणित, अरुणीकृत (वि०) [अरुण+क्विप् (ना० धा०)+ श्रोतव्यः, न वा अरे पत्युः कामायास्याः पति: प्रियो
क्त, अरुण+च्चि++त ईत्वम्] लाल किया हुआ, भवति - शत. (याज्ञवल्क्य ने अपनी पत्नी मैत्रेयी लालरंग में रंगा हुआ, पिंगल रंग का किया हुआ से कहा) (ख) क्रोधावेश में--अरे महाराज प्रति कुत: स्तनाङ्गरागारुणिताच्च कन्दुकात्-कु० ५।११ । क्षत्रिया:--उत्तर. ४ (ग) ईर्ष्या प्रकट करने के लिए। न्तुव (वि०)[अरुषि मर्माणि तुदति-इति-अरुस्+-तुदन | अरेपस (वि. न.ब.] 1. निष्पाप, निष्कलंक 2. निमल ग्वश मम च ममस्थानों को छेदने वाला, घायल करने । पवित्र
लोपोडाजातीक्ष्ण, मर्मबंधी-अरुन्तुदमिवालान- | अरेरे (अव्य०) [अरे-अरे इति वीप्सायां द्वित्वमा विस्ममनिर्वाणस्य दन्तिनः---रघु० ११७९, कि० १४१५५, यादि बोधक अव्यय (क) क्रोध पूर्वक बुलाना 2. तीक्ष्ण, उग्र कटुस्वभाव ।
--अरे रे दुर्योधनप्रमुखाः कुरुबलसेनाप्रभवः--वेणी. रन्धती [ न रुन्धती प्रतिरोधकारिणी] 1. वशिष्ट की ३, अरेरेवांचाट-त० (ख) अपने से छोटों को संबोधित
पत्नी-अन्वासितमरुन्धत्या स्वाहयेव हविर्भुजम् - करना या घृणापूर्वक बुलामा-अरे रे राधागर्भभारभूत रघु० ११५६, 2. प्रभात कालीन तारा, वशिष्ठ की सूतापसद-त.। पत्नी, सप्तषिमंडल का एक तारा (पुराणों के अनुसार | अरोक (वि.) [न० ब०] कान्तिहीन, मलिन,धुंधला । वशिष्ठ सप्तर्षियों में एक है तथा अरुन्धती उनकी | अरोग (वि.) [ न० ब०] रोगमुक्त, नीरोग, स्वस्थ पत्नी। अरुन्धती, कर्दम प्रजापति की (बेषहति से अच्छा, अरोगा: सर्वसिद्धार्थाश्चतुर्वर्षशतायुष:उत्पन्न) ९ पुत्रियों में से एक थी। वह दाम्पत्य-महत्ता सुश्रु०,—गः अच्छा स्वास्थ्य -न नाममात्रेण करोत्यका सर्वश्रेष्ठ नमूना है, भार्योंचित भक्ति के कारण रोगम् --हि. ११६७। विवाह संस्कारों में वर के द्वारा उसका आवाहन किया अरोगिन, अरोग्य (वि.) [न.ब.नीरोग, स्वस्थ । जाता है। स्त्री होते हुए भी उसको वही सम्मान | अरोचक (वि.) [स्त्रो०--चिका] [न० त०] 1. जो दिया गया है, जो सप्तर्षियों को तु० कि० ६।१२, चमकीला न हो 2. भूख मंद करने वाला,--क: भूख अपने पति की भांति वह भी रघुवंश के अपने निजी | का कम लगना, अरुचिकर, जुगुप्सा । विभाग की निर्देशिका और नियंत्रिका रही, राम से अर्क (चु. ५०) 1. गर्म करना 2. स्तुति करना। परित्यक्त सीता का निर्देशन देवदूत के रूप में उसो ने अक: अर्क+घन-कुत्वम्] 1. प्रकाशकिरण, विजली की किया। कहते हैं कि जिनका मरण-काल निकट हो, चमक 2. सूर्य,--आविष्कृतारुणपुरःसर: एकतोऽर्क:उन्हें अरुंधती तारा दिखलाई नहीं देता--हि. श०४।१, 3. अग्नि 4. स्फटिक 5. तांबा 6. रविवार ११७६)। सम०-जानिः,-नाथः-पतिः वशिष्ठ, सप्त- 7. आक का पौधा, मदार---अर्कस्योपरि शिथिलं च्यतपिमंडल का एक तारा,-वर्शनन्यायः दे० 'न्याय' के मिव नवमल्लिकाकुसुमम्-श०२९ यमाश्रित्य न नीचे।
विश्राम क्षुधार्ता यान्ति सेवकाः, सोऽर्कवन्नृपतिस्त्याज्य:
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