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तांबा। सम० अक्ष (वि.) कमल जैसी आंखों । लिए बनाई हुयी योजनाएँ, विदेश विभाग का प्रशासन, बाला, विष्णु की उपाधि, बलप्रभम् तांबा, नाभिः, ----नन्दन (वि.) शत्रु को प्रसन्न करने वाला, शत्रु को
-भः विष्णु, हृदयो मदीये देवश्चकास्तु भगवानर- विजय दिलाने वाला,-भद्रः बड़ा शक्तिशाली शत्रु-रघु० विन्दनाभ:--भामि० ४१८, सद् (पुं०) ब्रह्मा।
१४।३१,-सूचनः, हन्,-हिंसकः शत्रुओं का नाश करने अरविन्दिनी [ अरविन्द+इनि+डीप्] 1. कमल का पौधा वाला--रघु०९।१८।
----प्रपीतमधुका भंङ्गः सुदिवेवारविन्दिनी-भट्टि० अरिक्थभाज, अरिकथीय (वि.) [न० त०] जो पैतृक ५१७०, 2. कमल फूलों का समूह 3. वह स्थान जहाँ | संपत्ति में हिस्सा पाने का अधिकारी न हो (जैसे कमल बहुतायत से होते हों।
कि कोई नपुंसकता आदि अवगुणों के कारण अनधिकृत अरस (वि.) [न० ब०] 1. रसहीन, नीरस, फीका कर दिया गया हो)।
2. मंद, बुद्धिहीन 3. निर्बल, बलहीन, अयोग्य । अरित्रम् [ऋ+इत्र] 1. डांड,-लोलेररित्रैश्चरणरिवाभितः अरसिक (वि०) [न० त०] 1. रूखा, रसहीन, फीका, --शि० १२१७१, 2. पतवार, लंगर ।
बिना स्वाद का, 2. भावना या स्वाद से विरहित, मन्द, | अरिन्दम (वि०) [अरि+दम् +खच्, मुमागमः] शत्रुओं का काव्यादि का रस लेने में असमर्थ, कविता के मर्म को | दमन करने वाला, शत्रु-विजयो, शत्रु को जीतने वाला। न जानने बाला, अरसिकेषु कवित्वनिवेदनं शिरसि |
अरिषम् [न० त०] लगातार वर्षा होना,--षः एक प्रकार मा लिख, मा लिख, मा लिख-उद्भट० ।
का गुदारोग। अराग, अरागिन् (वि.) [न० ब०, न० त०] शान्त, | अरिष्ट (वि०) [न० त०] अक्षत, पूर्ण, अविनाशी, निरापद
वासना रहित,--तमहमरागमकृष्णं कृष्णद्वैपायनं वन्दे- ---ष्ट: 1. बगुलां, 2. जंगली कौवा 3. शत्रु 4. नाना वेणी० १।४।
प्रकार के पौधों के नाम (क) रीठे का वृक्ष (ख) अराजक (वि.) [न० ब०] बिना राजा का, जहाँ राजा नीम का वृक्ष 5 लहसुन,-ष्टम् 1. दुर्भाग्य, अनिष्ट,
न हो-नाराजके जनपदे रामा०, मनु० ७.३, अराज- बदकिस्मती 2. दुर्भाग्यमिश्रित अनिष्टसूचक घटना, के जीवलोके दुर्बला बलवत्तरः, पीड्यंते न हि वित्तेषु अपशकुन 3. प्रतिकूल लक्षण-विशेषतः मृत्युसूचक प्रभुत्वं कस्यचित्तदा। महा०, शोच्यं राज्यमराज- ...रोगिणो मरणं यस्मादवश्य भावि लक्ष्यते, तल्लक्षणकम्-चाण० ५७ ।
मरिष्ट स्याद्रिष्टमप्यभिधीयते 4. सौभाग्य, अच्छी अराजन् (पुं०) [न० त०] जो राजा न हो। सम० किस्मत, सुख 5. सौरी 6. छाछ 7. मादक शराब
--भोगीन (वि०)राजा के काम के अनुपयुक्त, स्था- शि० १८१७७, । सम०--गृहम् सूतिकागृह,ताति पित (वि.) जो किसी राजा द्वारा प्रतिष्ठित न किया (वि.) सौभाग्यशाली या सुखी बनाने वाला, शुभ, गया हो, अवैध, गैरकानूनी।
-तिः (स्त्री०) सुरक्षा, सौभाग्य का उत्तराधिअरातिः[न० त०] 1. शत्रु, दुश्मन,-देशः सोऽयमराति
कार, अनवरत सुख,---तदत्रभवता निष्पन्नाशिषां शोणितजलयस्मिन् ह्रदाः पूरिताः-वेणी० ३।३१, काममरिष्टतातिमाशास्महे -महावी० १, -मथन:
2. छ: की संख्या। सम०-भंगः शत्रुओं का नाश । शिव, विष्ण,... शय्या प्रसूता का पलंग—अरिष्ट शय्यां अराल (वि.) [ऋ-विच् अरम् आलाति, ला+क] मुड़ा परितो बिसारिणा--रघु० ३.१५,-सूदनः,हन्
हुआ, टेढ़ा,-पादावरालांङ्गली-मालवि० २।३, ल: (पुं०) अरिष्टनाशक, विष्णु की उपाधि ।। 1. वक्र भुजा 2. मतवाला हैंथी,-ला पुंश्चली, वेश्या, | अनि चीन
ग, वश्या, अरुचिः (स्त्री०) [न० त०] 1. अनिच्छा, किसी वस्तु वारांगना। सम०- केशी धुंघराले बालों वाली स्त्री,
का अच्छा न लगना,-क्व सा भोगानामपर्यरुचिः-का० -भिस्वा निराकामदरालकेश्या:--रघु०६।८१,- पक्ष्मन्
१४६ 2. भूख न लगना, स्वादु न लगना, उक्तः (वि.) मुड़ी हुई पलकों वाला-कु० ५।४९ ।
जाना-सन्निपातक्षयश्वासकासहिक्कारुचिप्रणुत्-सुथु० अरिः [ ऋ+इन ] 1. शत्रु, दुश्मन,-विजितारिपुरःसरः- 3. संतोषजनक व्याख्या का अभाव ।
रघु० ११५९, ६१, ४।४ 2. मनुष्य जाति का शत्रु | अरुचिर, अरुच्य (वि.) [ न० त०] भला न लगने वाला (मनुष्य के मन को व्याकुल करने वाले ६ शत्रु बताये | अरुचिकर, उकताहट पैदा करने वाला। गये हैं--कामः क्रोधस्तथा लोभो मदमोहौ च मत्सरः; अरुज् (वि.) [न० त०] रोगमुक्त, स्वस्थ, नीरोग। --कृतारिषव्डर्गजयेन-कि० ११९ 3. छ: की संख्या अरुज (वि०) न० त०] स्वस्थ, नीरोग। 4. गाड़ी का भाग 5. पहिया। सम-कर्षण (वि०) | अरुण (वि.) (स्त्री-णा,-णी) [ऋ+उनन्] 1. अर्धरक्त शत्रुओं को पीडित या पराभूत करने वाला, कुलम् या कुछ २ लाल, भूरा, पिंगल, लाल, गुलाबी (सांध्य. 1. शत्रुओं का समूह, 2. शत्रु,—घ्नः शत्रुओं का नाश लालिमा के विपरीत प्रभातकालीन मूर्य का रंग) करने वाला,-चिंतनम्,-चिता शत्रुओं के नाश के । -नयनान्यरुणानि धूर्णयन्–कु० ४। १२, 2. विस्मित,
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