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विषयानुक्रमणिका
नवम पवं बालि, सुग्रीव, नल, नील आदिको उत्पत्तिका वर्णन खरदूषणके द्वारा रावणकी बहन चन्द्रनखाका हरण, विराधिकका जन्म बालिका दशाननके साथ संघर्ष, बालिका दीक्षाग्रहण, सुग्रीव द्वारा अपनी बहनका दशाननके साथ
विवाह बालिके प्रभावसे कैलास पर्वतपर दशाननका विमान रुकना। रावण द्वारा कैलाशको उठाना, बालि
द्वारा उसकी रक्षा, रावण द्वारा जिनेन्द्र स्तुति तथा नागराजके द्वारा अमोघ विजया शक्तिका
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दान
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दशम पर्व सुग्रीवका सुताराके साथ विवाह, उससे अंग और अंगद नामक पुत्रोंका जन्म । सुताराको प्राप्त करने
की इच्छासे साहसगति विद्याधरका हिमवत् पर्वतको दुर्गम गुहामें विद्या सिद्ध करना रावणका दिग्विजयके लिए निकलना इन्द्र विद्याधरपर आक्रमणके लिए जाना, बीचमें खरदूषणके साथ मिलाप होना, रावणको विशाल
सेनाका वर्णन, मार्गमें नर्मदाका दृश्य माहिष्मतीके राजा सहस्ररश्मिका नर्मदामें जलक्रीड़ाका वर्णन; दशाननकी पूजामें बाधा, सहस्ररश्मि
के साथ दशाननका युद्ध, सहस्ररश्मिका पकड़ा जाना, तदनन्तर उसके पिता शतबाहु मुनिराजके उपदेशसे छोड़ा जाना, सहस्ररश्मि और अयोध्याके राजा अनरण्यका दीक्षा लेना
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एकादश पर्व रावणका उत्तर दिशाकी ओर बढ़ना, बीच में राजपुरके अहंकारी राजाके प्रति उसका रोष, प्रकरण
पाकर यज्ञका प्रारम्भिक इतिहास बतलाते हुए अयोध्याके क्षीरकदम्बक गुरु, स्वस्तिमती नामक उनकी स्त्री, राजा वसु तथा नारद पर्वतका 'अजैर्यष्टव्यम्' शब्दके अर्थको लेकर
विवाद । वसु द्वारा मिथ्या निर्णय तथा उसका पतन राजपुर नगरमें दशाननका पहुँचना, राजा मरुत्वानके यज्ञका वर्णन, नारदकी उत्पत्तिका कथन नारदका राजा मरुत्वानको यज्ञशालामें पहँचना और उसके पुरोहित के साथ लम्बा शास्त्रार्थ करना,
ब्राह्मणोंका परास्त होकर नारदको पीटना, रावणको दूतके द्वारा इस काण्डका पता चलना,
रावणके द्वारा नारदकी रक्षा तथा ब्राह्मणोंका दमन और मरुत्वान्के यज्ञका विध्वंस राजा मरुत्वानका क्षमा याचना कर अपनी कनकप्रभा कन्या रावणके लिए देना। रावणका
अनेक देशोंमें भ्रमण
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द्वादश पर्व रावणकी कृतचित्रा कन्या का मथुराके राजा हरिवाहनके पुत्र मधुके साथ विवाह होना मधुको चमरेन्द्रसे शूल रत्न प्राप्त होना नलकूबरके साथ रावणका युद्ध, उसकी स्त्री उपरम्भाका रावणके प्रति अनुराग आदिका वर्णन रावणका विजयार्धपर पहुँचना, इन्द्रका अपने पिता सहस्रारसे सलाह पूछना, सहस्रारकी उचित
सलाह, इन्द्रका पिताको उत्तर युद्धके लिए इन्द्रकी तैयारी तथा घनघोर युद्ध और रावणके द्वारा इन्द्रकी पराजय
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