Book Title: Padmapuran Part 1
Author(s): Dravishenacharya, Pannalal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 604
________________ बालंप्रनलमा पारिने प्रतिशचप्रतीहार मुंबेदानगिराम योवरिस्प: कर्मयथोचित होवाईनमिंद्रोधि सर्वनकारनूबित लाखमानताना यथाताप्रितीय जीयविन्मुक्ती बवत्तांत्यायथा करिख्यानिधि वाकेवागदातबा रानयोर्मत। ममेवरामही दैजिनामार्थको रु २एवजेता भारतीय ज्ञानपीठ स्थापना : सन् 1944 उद्देश्य ज्ञान की विलुप्त, अनुपलब्ध और अप्रकाशित सामग्री का अनुसन्धान और प्रकाशन तथा लोकहितकारी मौलिक साहित्य का निर्माण संस्थापक स्व. साहू शान्तिप्रसाद जैन स्व. श्रीमती रमा जैन अध्यक्ष श्रीमती इन्दु जैन कार्यालय : 18, इन्स्टीट्यूशनल एरिया, लोदी रोड, नयी दिल्ली-110 003 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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