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विषयानुक्रमणिका
प्रथम पर्व
विषय मंगलाचारण ग्रन्थकर्तप्रतिज्ञा, सत्कथा प्रशंसा सज्जनप्रशंसा, दुर्जननिन्दा ग्रन्थका अवतरण ग्रन्थमें निरूप्यमाण विषयोंका सूत्ररूपसे संकलन
द्वितीय पर्व जम्बूद्वीपके भरतक्षेत्रमें मगध देश है, उसके राजगृह नगर में राजा श्रेणिक राज्य करता है। उसके
राज्यका वर्णन । राजगृहके समीप भगवान् महावीरका आगमन । महावीरका माहात्म्यवर्णन,
समवसरणकी रचना आदि राजा श्रेणिकका वन्दनार्थ जाना, भगवान् महावीरको दिव्यध्वनि खिरना आदि मगधराज श्रेणिकका नगरमें प्रवेश, रात्रिका वर्णन, शय्यापर पड़े-पड़े राजा श्रेणिकका रामकथामें
प्रचलित मिथ्या मान्यताओंका चिन्तन
तृतीय पर्व प्रातःकाल होनेपर राजा श्रेणिकका समवसरणमें पुनः जाना और गौतमस्वामीसे रामकथा श्रवणकी
इच्छा प्रकट करना और गौतमस्वामीके द्वारा रामकथा कहनेका आश्वासन गौतमस्वामी द्वारा क्षेत्र, काल तथा चौदह कुलकरोंका वर्णन चौदहवें कुलकर नाभिराय और उनकी स्त्री मरुदेवीका वर्णन । देवियोंके द्वारा मरुदेवीकी सेवाका
वर्णन । मरुदेवीका स्वप्न वर्णन । भगवान् ऋषभदेवका गर्भारोहण जन्म कल्याणक तथा दीक्षा कल्याणकका वर्णन भगवान आदिनाथको ध्यानारूढ़ रहने के समय नमि-विनमिका आना, धरणेन्द्रके द्वारा उन्हें
विजयार्धकी उत्तर-दक्षिण श्रेणियोंका राज्य दिया जाना
चतुर्थ पर्व भगवान ऋषभदेवका राजा सोमप्रभ और श्रेयान्सके यहाँ आहार लेना। केवलज्ञानकी उत्पत्ति
तथा समवसरणकी रचना, दिव्यध्वनिका वर्णन भरत बाहुबलीका वर्णन, भरतके द्वारा ब्राह्मण वर्णकी सृष्टि
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