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पद्मपुराणे
पंचम पर्व
चार महावंश-१ इक्ष्वाकुवंश, २ ऋषिवंश अथवा चन्द्रवंश, ३ विद्याधरोंका वंश तथा हरिवंशके
नामोल्लेखपर्वक इनका संक्षिप्त वर्णन । विद्याधर वंशके अन्तर्गत विद्युढ़ और संजयन्त
मुनिका वर्णन अजितनाथ भगवानका वर्णन सगर चक्रवर्तीका वर्णन, पूर्णधन, सुलोचन, सहस्रनयन तथा मेघवाहन आदिका वर्णन मेघवाहन और सहस्रनयनके पूर्वजन्म सम्बन्धी वैरका वर्णन राक्षसोंके इन्द्र भीम और सुभीमके द्वारा मेघवाहनके लिए राक्षस द्वीपकी प्राप्ति तथा राक्षसवंशके
विस्तारका वर्णन
षष्ठ पर्व
वानर वंशका विस्तृत वर्णन
सप्तम पर्व रथनपुरनगरमें राजा सहस्रारके यहाँ इन्द्र विद्याधरका जन्म तथा उसके प्रभाव, प्रताप आदिका
वर्णन
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लंकाके राजा मालीका इन्द्र के विरुद्ध अभियान तथा युद्धका वर्णन, मालीका मारा जाना लोकपालोंकी उत्पत्ति तथा वैश्रवणका लंकामें निवास इन्द्रसे हारकर सुमालीका अलंकारपुरमें रहना, उसके रत्नश्रवा नामका पुत्र होना, उसकी कैकसी
नामक स्त्रीसे दशानन, कुम्भकर्ण, चन्द्रनखा और विभीषणकी उत्पत्तिका वर्णन वैश्रवणको गगन-यात्रा देख दशानन आदिका विद्याएं सिद्ध करना, अनावृत यक्षके द्वारा उपद्रव
होना पर अविचलित रहकर उन्हें अनेक विद्याओंका सिद्ध हो जाना राक्षस वंशमें दशाननका प्रभाव फैलना
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अष्टम पर्व
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असुरसंगीतनगरमें राजा मय और उसकी पुत्री मन्दोदरीका वर्णन । मन्दोदरीका दशाननके साथ
विवाह मेघरव पर्वतपर बनी वापिकामें छह हजार कन्याओं के साथ रावणकी जल-क्रीड़ा तथा उनके साथ
उसके विवाहका वर्णन कुम्भकर्ण तथा विभीषण के विवाहका वर्णन कुम्भकर्णके द्वारा वैश्रवणके नगरोंका विध्वंस, वैश्रवण द्वारा सुमालीसे कुम्भकर्णकी शिकायत दशाननके द्वारा वैश्रवणके दूतको करारा उत्तर तथा दोनों ओर घमासान युद्ध और वैश्रवणका
पराजय । वैश्रवणका दीक्षा लेना वैश्रवणके पुष्पक विमानपर आरूढ़ हो रावणकी सपरिवार दक्षिण दिशाकी विजययात्रा सुमाली द्वारा हरिषेण चक्रवर्तीका वर्णन रावणके द्वारा त्रिलोकमण्डन हाथीका वश करना रावण द्वारा यमलोकपालका विजय और लंका नगरी में प्रवेश
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