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सप्तमं पर्व
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निद्राविद्रुतिहेतुमिश्च समये जीमूतमालानिर्भ
ध्वान्तं दूरमपाकरोति किरणैरुद्योतमात्रो रविः ॥३९५।।
इत्या रविषेणाचार्यप्रोक्त पद्मचरिते दशग्रीवाभिधानं नाम सप्तमं पर्व ॥७॥
सन्तापको दूर करता हुआ शीघ्र ही कुमुदिनियोंमें उल्लास पैदा कर देता है और सूर्य उदित होते ही निद्राको दूर हटानेवाली अपनी किरणोंसे मेघमालाके समान मलिन अन्धकारको दूर कर देता है ।।३९५॥
इस प्रकार आर्ष नामसे प्रसिद्ध रविषेणाचार्यविरचित पद्मचरितमें दशाननका
वर्णन करनेवाला सातवाँ पर्व पूर्ण हुआ ॥७॥
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