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साथ
बिना टिकट के, खुदाबक्ष की तरह 235 भाभी मास्टर जी और मैं शिष्य... 257 टिकट की चोरी करने से बचे दो आने235 स्त्री चरित्र में पास होने के बाद... 257 वासद में खाए पकौड़े और पी चाय 236 18.2] भाभी को उपकारी माना इज़्ज़त न जाए इसलिए भाई को.. 236
भाभी ने उतारा हमारा अहंकार 259 पुण्यशाली इसलिए चाय के समय.. 237
लगती थीं दुश्मन लेकिन समझ में.. 260 पैसे नहीं, एड्रेस नहीं, मित्र के... 238
मेरे लिए भी हितकारी बनीं भाभी 261 बिना पते के होशियारी से ढूँढ... 239
ज्ञानी बनने में निमित्त भाभी 261 धन्य भाग्य हमारे कि आप हमारे... 241
अब्स्ट्रक्शन से होता है प्रगति की.. 262 सुख में से ढूँढा दुःख, संडास में... 242
मेरे वैराग्य की निमित्त बनीं भाभी 262 हमें तो कुदरती रूप से कभी क्यू... 244
मोक्ष के रास्ते पर ले जाती हैं... 263 जिसमें हाथ काले हों वह काम... 244 कॉन्ट्रैक्ट के काम में सर्विस नहीं... 245 [8.3 ] व्यवहार लक्ष्मी का, भाभी के फ्री काम करूँगा, तब फिर वह... 245 मैं आपका सर्वेन्ट नहीं बल्कि... 246 कर्म की उलझनें, इसलिए नहीं... 264 बड़े भाई की मर्यादा रखी, वापस... 247 हकदार नहीं थे फिर भी जो माँगा.. 265 नासमझी की झंझट, इसलिए भागने..248 भाभी का क्लेम नहीं रखा बाकी 265 बड़े भाई ने कहा, 'अरेरे! तुझे... 249 धोखा खाकर भी किसी का क्लेम.. 266 आश्वासन देने वाला ही रुलाकर... 250 नहीं मिलेगा ऐसा भगवान जैसा... 267 भाभी के त्रागा को पहचानकर... 251 ज्ञान के बाद लेट गो करके निभाया.. 268 करना नहीं आता लेकिन मैं पहचान..252 हमें भोला मानकर, अंटी में डालने.. 269 पूरी दुनिया का त्रागा उतारूँ, ऐसा.. 252 आप्त जैसा मानकर, छले गए... 270 आपसे ही सीखी यह कला 253 उनका दोष देखा ही नहीं, मेरी ही... 271 कला से शांत कर दिया भाभी को 253 अगर बेवकूफ बनेंगे तो जाने देंगे... 272 भाभी से सीखा और बना स्त्री... 256 [8.4] भाभी के उच्च प्राकृत गुण मैं पहचान जाता हूँ स्त्री चरित्र... 256 उच्च चरित्र और शीलवानपना 274
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