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[1.3] बचपन से ही उच्च व्यवहारिक सूझ
और अभी तो पढ़ाई, वह भी सिर्फ एक ही लाइन में फिर तो वह आ ही जाएगा न ! और क्या करना है उसमें ?
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चार साल की उम्र तक का सबकुछ याद
प्रश्नकर्ता : अपने बचपन की ऐसी कोई दूसरी बात बताइए न !
दादाश्री : चार साल की उम्र में मैं खो गया था बोरसद में। तो अभी भी मुझे याद है कि उस स्थिति में मुझे कैसा लगा था और कैसा नहीं !
हमारे बड़े भाई मणि भाई मुझे घोड़े पर आगे बैठाकर मुझे बोरसद ले गए थे। वहाँ पर एक जान-पहचान वाले दुकानदार के यहाँ मुझे बैठा दिया और फिर मणि भाई अपने काम के लिए निकल गए। दुकानदार के यहाँ कितनी देर तक अच्छा लगता? एक-दो गोलियाँ दीं, जब तक वे चलीं तब तक अच्छा लगा, फिर तो मैं बाहर निकल पड़ा, खेलने । दुकानदार ने जो गोलियाँ दी थीं वे अभी भी मुझे दिखाई देती हैं कि वे गोलियाँ कैसी थीं!
बहुत देर बाद भी जब मणि भाई को नहीं देखा, कोई जान-पहचान वाला नहीं दिखाई दिया, तब मैं रोने लगा । तब फिर लोग इकट्ठे हो गए और फिर पुलिस वाले मुझे पुलिस गेट पर ले गए। फिर वहाँ से लोगों को खबर पहुँचाई कि किसी का बच्चा खो गया है । तो ऐसे करते-करते हमारे बड़े भाई मुझे वापस लेने आए। वह सब अभी भी याद है, चार साल की उम्र थी तब ।
मोही जीव तो भूल जाता है
प्रश्नकर्ता : दादा इतना पुराना ! चार साल के थे तब का आपको सबकुछ याद है!
दादाश्री : ज्ञान से पहले, जब मैं पाँच साल का था, तब तक का मैं आपको याददाश्त के बल पर बता सकता हूँ कि एक दिन ऐसा हुआ था और एक दिन ऐसा हुआ था लेकिन फिर उसके बाद हम वीतराग