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[ 2.2] मैट्रिक फेल
विलायत भेजकर सूबेदार बनाने की इच्छा प्रश्नकर्ता : दादा, आप ब्रिल्यन्ट ( तेजस्वी ) थे तो मैट्रिक फेल क्यों हुए ?
दादाश्री : मुझे तो एक क्षण के लिए भी यह जगत् पुसाता नहीं था । मुझे तेरह साल की उम्र से ऐसा होता था कि मेरा बॉस नहीं होना चाहिए। जब पंद्रह साल का हुआ, तब ब्रदर कॉन्ट्रैक्ट का काम करते थे, बड़ौदा में । घर आकर मेरे बड़े भाई और जो हमारे पिता जी थे, वे दोनों साथ में बैठकर, मेरे ब्रदर ने फादर से कहा कि, 'यह अंबालाल अगर अच्छे से मैट्रिक में पास हो जाए तो उसे पढ़ाई के लिए विलायत भेज देंगे'। मेरे फादर और बड़े भाई जो बात कर रहे थे, वह मैं सुन रहा था ।
तब ब्रदर ने क्या कहा कि 'मैं पढ़ाई पर थोड़ा ज़्यादा खर्च करूँगा लेकिन इसे अच्छी तरह आगे पढ़ाना । यह अच्छी तरह मैट्रिक में पास हो जाए तो पढ़ाई के लिए इसे सीधा इंग्लैन्ड, लंदन भेज देंगे। वहाँ पर एक साल ज़्यादा रखेंगे तो यह सूबेदार बनकर आएगा' ।
हमारे ब्रदर कॉन्ट्रैक्ट का काम करते थे और वे अच्छा कमाते थे। उनके पास थोड़ी-बहुत सहूलियत थी और हिम्मत थी। पैसे भी थोड़ेबहुत आ गए थे लेकिन ज़्यादा नहीं पर उस ज़माने में उन्हें सहूलियत हो गई थी। यानी कि पास में कुछ होगा, उन दिनों पाँच-दस हज़ार रुपए खर्च कर सकते थे, विलायत भेजने के लिए। तब सस्ते में हो जाता था, बहुत महँगा नहीं था, तो उतनी सहूलियत तो थी । उन्होंने कहा, पैसे दूँगा, इसे विलायत भेजेंगे'।
'मैं सब