________________
ज्ञानी पुरुष (भाग-1)
वही साधन हिन्दुस्तान को सुधारेंगे और उन्नति करेंगे। अतः ये रेडियोवेडियो, टेपरिकॉर्ड वगैरह ही सुधारेंगे फिर से। यही सब साधन हिन्दुस्तान के लिए कल्याणकारी बन जाएँगे।
अब ये सिनेमा वगैरह सब सीधा काम करेंगे। जब यह सहन नहीं होगा तब ये सारे सीधा काम करेंगे। ऐसा सब तब सोचा था। तब अंदर से जवाब मिला। उसके बाद उनके प्रति बैर नहीं रहा। लेकिन जब 1958 में ज्ञान प्रकट हुआ तभी से उसके बारे में बिल्कुल भी विचार नहीं आए
थे।
जिन साधनों ने हमारा विनाश किया, वे ही साधन हमें सुधारने के बहुत बड़े, अच्छे साधन हैं। वर्ना क्या रोज़ उपदेश देकर कुछ बदल सकेगा? इस तरह अखबारों से कुछ बदल सकेगा? उसे तो ये साधन ही तेज़ी से वापस ला देंगे। ये साधन कितने बड़े हैं।
प्रश्नकर्ता : ये साधन बहुत बड़े हैं इसलिए उतनी ही स्पीड से सुधार देंगे।
दादाश्री : उतनी ही स्पीड से सुधार देंगे। इसलिए कोई भी चीज़ नुकसानदायक नहीं है। जब ऐसा काल आता है तभी नुकसान होता है।
ये साधन कल्याण के बड़े निमित्त बनेंगे प्रश्नकर्ता : दुनिया में आप ही एक धर्मात्मा होंगे, सिनेमा को भी अच्छा बताने वाले!
दादाश्री : यह तो अच्छी चीज़ है। वीडियो चलाने पर क्या होता है ? दादा बातें करते हुए दिखाई देते हैं न? देखो न, नहीं तो दादा कैसे दिखाई देते? यह देखो न, दादा जैसी ही बातें सुनाई देती हैं न?
आज ज्ञानी पुरुष के हाथों (औरंगाबाद में) सिनेमा थिएटर के ओपनिंग के लिए कैंची रखी गई, उस पर भी मुझे आश्चर्य होता है ! इस सिनेमा के ओपनिंग पर से दर्शन में ऐसा आता है कि अपना ज्ञान यहाँ से (इस माध्यम से) प्रकाश में आएगा! क्योंकि यह साधन, संस्कारों को