________________
[10.8] भगवान के बारे में मौलिक समझ
मोक्ष नहीं चाहिए। मुझे तो ऐसा मोक्ष चाहिए जिसमें कोई ऊपरी न हो । मुझे ऑब्लिगेशन नहीं चाहिए। वे मुझे अपने मोक्ष में ले जाएँगे तो मुझ पर उनका उपकार रहेगा, उससे तो बोझ रहेगा। जिन भगवान ने इस जगत् को क्रिएट किया है और जिन्होंने इस जगत् में हमें बनाया उनका उपकार क्या कभी भूल सकते हैं ? इसलिए उससे अपना मोक्ष नहीं होगा और अगर भगवान मुझे मोक्ष में ले जाएँगे तो फिर वे हमारे ऊपरी तो रहे ही न। जहाँ ऊपरी है वह मोक्ष कहलाएगा ही नहीं न ! मुझे ऊपरी चाहिए ही नहीं। ‘मैं ऐसा स्वीकार ही नहीं करता हूँ कि भगवान ऊपरी हैं। आप ही मेरे ऊपरी हो प्रत्यक्ष हो क्योंकि प्रत्यक्ष उपकारी हो' । ऐसा कहा। फिर महाराज चौंके कि 'यह क्या कह रहा है, यह क्या कह रहा है ? ऐसा मत कहो, मत कहो' ।
भगवान आपकी कल्पना जैसे हैं ही नहीं
फिर बाप जी घबरा गए न ! तो कहने लगे, ‘यह तू क्या कह रहा है, ऐसा नहीं कहना चाहिए। भगवान की निंदा क्यों कर रहा है ? मैंने तो तुझे ऐसा कहा कि भगवान तुझे मोक्ष में ले जाएगा'। तब मैंने कहा, 'नहीं, मैं तो कहूँगा। मैं निंदा नहीं कर रहा हूँ। जैसी आपकी कल्पना है, भगवान वैसे हैं ही नहीं । भगवान को तो मैं ढूँढ रहा हूँ । महाराज, मुझे भी यह समझ में नहीं आ रहा है। भगवान यदि मुझे मोक्ष में ले जाएँ, तो ऐसे मुझे नहीं जाना है । मैं अपनी तरह से जाऊँगा' ।
415
कोई है क्या मुझे मोक्ष में ले जाने वाला ? इज़ देयर एनीबडी ? यदि है तो वह आपका ऊपरी रहेगा । आई डोन्ट वान्ट बॉस । तू ऊपरी, मुझे ले जाने वाला तू कौन है भला? बेकार ही, तू कहाँ से आया ? यदि भगवान हमारे ऊपरी हैं तो फिर उसे मोक्ष कहेंगे ही कैसे ? मुझे ऊपरी वाला मोक्ष नहीं चाहिए। मैं इस वर्ल्ड में अन्डरहैन्ड रहना ही नहीं चाहता। जो होना हो वह हो, लेकिन अन्डरहैन्ड नहीं रहना चाहता । आपकी सेवा करूँगा लेकिन अन्डरहैन्ड नहीं ।
प्रश्नकर्ता : लेकिन जो सेवा करता है वह अन्डरहैन्ड कहलाएगा या नहीं?