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[10.10] ज्ञानी के लक्षण, बचपन से ही
जल्दबाज़ और शरारती स्वभाव यह 'निमित्त को बचका' मुझे यह शब्द क्यों आ गया? इसका कारण क्या है? मैं जब छोटा था, आठ नौ साल का, तब निमित्त को काटने का मतलब समझ गया था। मैं बचपन से ही ज़रा शरारती स्वभाव वाला था। जल्दबाज़ और पावरफुल मिज़ाज, तो मुझे छेड़खानी करने की आदत थी।
तब हमारे मुहल्ले में एक सेठ रहते थे। एक बार मेरे पिता जी ने चिट्ठी लिखी और कहा कि 'यह लल्लू सेठ को देकर आ जा। तुझे इतना काम करना है। यह चिट्ठी देकर आ और फिर वे जो भी जवाब दें, वह कागज़ पर लिखवाकर लाना या फिर वे जो कुछ भी कहें वह जवाब लेकर आना'।
मझे तो खेलने जाना था और फादर ने मुझे यह काम बता दिया तो मना तो नहीं कर सकता था न! फादर तो सभी के होते हैं न, या सिर्फ मेरे अकेले के थे? नए-नए हों तो समझो कि ठीक है, पूजा करें लेकिन सभी को फादर का कहा हुआ करना ही पड़ता है न! इसलिए फिर मैं वह चिट्ठी लेकर गया। चित्त कुत्ते को खिलाने में था, मेरी बात कहाँ से सुनते?
उन सेठ ने हमारे मुहल्ले के ही एक पिल्ले को पाल रखा था। उसे ज़रा दूध पिलाते थे, कुछ खिलाते थे और खेलते रहते थे पूरे दिन। उनके बच्चे वगैरह नहीं थे। तो इस तरह कुर्सी पर बैठे-बैठे पिल्ले के