Book Title: Gnani Purush Part 1
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Aradhana Trust

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Page 509
________________ 444 ज्ञानी पुरुष (भाग-1) और उसे इतनी अच्छी तरह से मारा तो वह भाग गया, नहीं तो दाँत घुसा देता'। मैंने कहा, 'कुत्ते का दोष नहीं है'। अगर निमित्त को काटें तो कुत्ते और इंसान में क्या फर्क है __ आपका कुत्ता आपको कैसे काट सकता है? वह कभी भी नहीं काटता और आज काटा है तो! इसके लिए गुनहगार कोई और है। मैंने कहा, 'मारना नहीं। कुत्ते ने आपको काटा उसके लिए गुनहगार कौन है ? मैं। और मार रहे हो कुत्ते को। यह उसने नहीं किया है। मैंने पूँछ दबाई थी', तो कहने लगे, 'अरे, तूने पूँछ दबाई थी! ऐसा क्यों किया?' मैंने कहा, 'आपने ऐसा किया'। फिर सेठ कहने लगे, 'मैं तुझे जवाब दूंगा'। मुझे दो-तीन गलियाँ दीं। लेकिन मैंने हिसाब लगा लिया कि कुत्ता निमित्त को काटता है। कुत्ते ने पता नहीं लगाया कि, 'मेरी पूँछ किसने दबाई है!' उसे पता नहीं होता कि, 'यह दबाने वाला कौन है और किसे काट रहा हूँ!' कुत्ता यह नहीं समझ सकता कि गुनहगार कौन है। गुनहगार मैं था, लेकिन मुझे पहचान नहीं पाया इसलिए कुत्ते ने निमित्त को काट खाया। तब मैंने कहा, 'आप भी निमित्त को काटते हैं। कुत्ते ने जो भूल की, आप भी वैसी ही भूल कर रहे हैं? हमें क्या यह पता नहीं होना चाहिए कि हमारा कुत्ता ऐसा नहीं है जो काट ले? कुछ न कुछ कारण रहा होगा, पता तो लगाना चाहिए न!' इस प्रकार से पूरा संसार निमित्त को ही काट रहा है। तभी से में समझ गया कि कुत्ते निमित्त को काटते हैं, हमें नहीं काटना चाहिए। अब वह तो कुत्ता है इसीलिए उसे पता नहीं है कि किसने उसकी पूँछ दबाई और वह किसे काट रहा है! वह कुत्ता तो निमित्त है, जबकि छेड़ा तो मैंने था। फिर वे पिल्ले को मारते रहे। ऐसे हैं ये लोग। गुनाह कौन करता है और किसे मारते हैं। निमित्त को काटते हैं। इसी तरह से यह पूरा संसार निमित्त को ही काटकर दुःखी हो रहा है। निमित्त को या तो कुत्ता या फिर साँप काटते हैं। साँप के सामने हम लकड़ी रखें तो वह लकड़ी को काट खाता है क्योंकि वह साँप है।

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