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[10.10] ज्ञानी के लक्षण, बचपन से ही
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जवाब नहीं देगा। मैं तो छोटा था लेकिन बड़े बनिए की भी नहीं सुनता था। मैंने समझा कि यह बनिया यों सीधी तरह से नहीं उठेगा। इस कुत्ते को बहुत ही प्यार कर रहा है न, तो उसे ज़रा प्यार दिखाने दो। तब मैंने जाना कि पाँच-दस मिनट हो गए, अभी तक भी कोई असर नहीं हो रहा है इस पर। मैं जो कह रहा हूँ, उसका कोई असर नहीं हो रहा है। यह मुझे नहीं पुसाएगा। मैं तो पटेल न, हम क्षत्रिय पुत्र कहलाते हैं। हम तो ऐसे लोग जो तलवार से मारें, और मुझे यों ही बैठाए रखा है। फिर तो मुझसे सहन नहीं हो पाता न! हमारा तो खून उबलने लगा। उस समय मुझे एक बुरी आदत ऐसी थी कि मेरी बुद्धि अंतरायी हुई थी न, तो मुझे शरारत करने की बहुत आदत थी।
गुनहगार को जाने बिना निमित्त को काटते हैं
वे उस कुत्ते के साथ खेल रहे थे। तब मैंने क्या किया? 'क्यों सेठ ज़मीन पर बैठे हैं?' तब कहा, 'ज़मीन पर बैठा हूँ'। मैंने कहा, 'अच्छा' मैं ज़्यादा एलर्ट था इसलिए फिर मैंने रास्ता ढूँढ निकाला। वे कुत्ते के साथ खेल रहे थे और यहाँ पर उसका मुँह था और उसके माथे पर हाथ फेर रहे थे, और उसकी पूँछ उस तरफ थी जहाँ मैं बैठा था। मैंने अच्छी तरह से उसकी पूँछ दबाई, और ऐसी मरोडी, ऐसी मरोड़ी कि वह कुत्ता चीख पड़ा। वह चीख तो पड़ा लेकिन कुत्ते का स्वभाव कैसा होता है कि जो उसके (मुँह के) सामने होता है उसी को काट लेता है। कुत्ते का मुँह सेठ के पैर के पास था तो उसने सेठ को काट लिया। सेठ ने समझा कि, यह कुत्ता खराब है, आज बिगड़ गया है, तो उन्होंने कुत्ते को पीट दिया। मैंने कहा, 'मारो मत, मारो मत'। तब कहने लगा, 'क्यों? मेरा कुत्ता मुझे कभी नहीं काटता, आज क्यों किया? मेरा कुत्ता मुझे ही काट रहा है ?' तब मेरे मन में ऐसा हुआ कि 'मेरी वजह से बेचारे कुत्ते को मार खानी पड़ी'। मैंने सेठ से कहा, 'इस कुत्ते ने जो किया आप भी वापस वैसा ही कर रहे हैं? जिसका गुनाह है उसे नहीं मारते और कुत्ते को मार रहे हैं ! इस निमित्त को क्यों काट रहे हैं? कौन गुनहगार है, वह ढूँढ निकालो'। तब उन्होंने कहा, 'कुत्ते ने मुझे काट लिया। मुझे काटा है इसने! यह तो अच्छा हुआ कि दाँत नहीं गड़ाए हैं