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(५)
प्रातः विधि श्री सीमंधर स्वामी को नमस्कार करता हूँ। (५) * वात्सल्यमूर्ति ‘दादा भगवान' को नमस्कार करता हूँ। (५) * प्राप्त मन-वचन-काया से इस संसार के किसी भी जीव को
किंचित्मात्र भी दुःख न हो, न हो, न हो।। * केवल शुद्धात्मानुभव के अलावा इस संसार की कोई भी विनाशी चीज़ मुझे नहीं चाहिए।
(५) * प्रकट ज्ञानीपुरुष दादा भगवान की आज्ञा में ही निरंतर रहने की
परम शक्ति प्राप्त हो, प्राप्त हो, प्राप्त हो। * ज्ञानीपुरुष 'दादा भगवान' के वीतराग विज्ञान का यथार्थ रूप से,
संपूर्ण-सर्वांग रूप से केवल ज्ञान, केवल दर्शन और केवल चारित्र में परिणमन हो, परिणमन हो, परिणमन हो।
नौ कलमें १. हे दादा भगवान! मुझे, किसी भी देहधारी जीवात्मा का किंचित्मात्र भी
अहम् न दुभे (ठेस न पहुँचे), न दुभाया जाए या दुभाने के प्रति अनुमोदना न की जाए, ऐसी परम शक्ति दीजिए। मुझे, किसी देहधारी जीवात्मा का किंचित्मात्र भी अहम् न दुभे, ऐसी स्याद्वाद वाणी, स्याद्वाद वर्तन और स्याद्वाद मनन करने की परम शक्ति
दीजिए। २. हे दादा भगवान! मुझे, किसी भी धर्म का किंचित्मात्र भी प्रमाण न दुभे, न
दुभाया जाए या दुभाने के प्रति अनुमोदना न की जाए, ऐसी परम शक्ति दीजिए। मुझे, किसी भी धर्म का किंचित्मात्र भी प्रमाण न दुभाया जाए ऐसी स्याद्वाद
वाणी, स्यावाद वर्तन और स्यावाद मनन करने की परम शक्ति दीजिए। ३. हे दादा भगवान! मुझे, किसी भी देहधारी उपदेशक साधु, साध्वी या आचार्य
का अवर्णवाद, अपराध, अविनय न करने की परम शक्ति दीजिए।