Book Title: Gnani Purush Part 1
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Aradhana Trust

View full book text
Previous | Next

Page 495
________________ [ 10.9 ] की पहचान थी से ही सही गुरु शुरू कोई धर्म नहीं लेकिन वीतराग मार्ग अच्छा लगता था । I प्रश्नकर्ता : दादा आपको जैन संस्कार किस उम्र में मिले थे बचपन से ही जैन संस्कार थे सारे ? दादाश्री : नहीं। बचपन में तो मुझे वैष्णव संस्कार मिले थे I ऋणानुबंध से हमारा जन्म वैष्णव माँ-बाप के यहाँ हुआ था। प्रश्नकर्ता : लेकिन दादा ऐसा सुना है कि आप बचपन में चोविहार (सूर्यास्त से पहले भोजन करना) करते थे । प्रतिक्रमण करते थे 1 दादाश्री : नहीं । वह सब तो बड़े होने के बाद लेकिन पहले कंठी बंधवाई थी। जैन धर्म तो चलता ही नहीं, मेल ही नहीं खाता था । वीतराग मार्ग पर गया था । प्रश्नकर्ता: हाँ, वीतराग मार्ग पर, ठीक है । दादाश्री : कृष्ण भगवान को 'वीतराग' कहा, वह ठीक है। वीतरागों ने (तीर्थंकरों ने) 'वीतरागता' कहा, वह ठीक है लेकिन जैन धर्म, वैष्णव धर्म वह सब हमें ठीक नहीं लगता था । जो मुझे कुछ सिखाएगा, वहाँ पर बंधवाऊँगा दोबारा कंठी प्रश्नकर्ता : आपका जन्म वैष्णव कुल में हुआ था तो आपने किससे कंठी बंधवाई थी ? दादाश्री : हाँ ! जब छोटा था तब बा कंठी बंधवाने ले गए थे I

Loading...

Page Navigation
1 ... 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516