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ज्ञानी पुरुष (भाग-1)
गलत करने से रोकने के लिए भगवान का डर घुसाया
अभी इस वर्ल्ड में मेरा कोई ऊपरी नहीं है। ऊपरी कैसे पुसाएगा भला? और आपको भी ऊपरी रहित बना देता हूँ। अभी अगर बाहर लोगों से पूछो न, तो 'गॉड इज़ क्रिएटर, इज़ करेक्ट' ऐसा कहेंगे, जबकि यहाँ पर तो कोई बाप भी ऊपरी नहीं है। तुझे यदि मुक्त होना है, इन्डिपेन्डेन्ट, तो कोई ऊपरी नहीं हैं और अगर तुझे डिपेन्डेन्ट अच्छे लगते हैं तो ऊपरी हैं। ऊपरी हों तो उसका मतलब ही क्या है? मीनिंगलेस बात है ! इसलिए लौकिक बात अलग है और अलौकिक बात अलग है। यह तो किसलिए है ? लोगों को डराने के लिए भगवान को ऊपरी बनाया है। वर्ना फिर लोगों के मन में क्या होगा कि 'लाओ कोई स्टोर वाला नहीं है तो आज ले लो न!' अतः यदि भगवान का ऐसा कोई डर रहे तो लोगों की वह आदत छूट जाती है। विचारक इंसान को भय की ज़रूरत नहीं है। आपके लिए किसी पुलिस की ज़रूरत नहीं है और न ही सेना की ज़रूरत है। पुलिस और सेना तो इन गुंडे लोगों के लिए है
और उसके लिए आप पर टैक्स लगाया जाता है। __मैंने खोज की कि कोई ऊपरी नहीं है। यह वैज्ञानिक खोज है। मुझे ज्ञान हुआ था सूरत के स्टेशन पर, उसके बाद मेरे लिए जगत् में अन्य कोई भी चीज़ जानना बाकी नहीं बचा। आज भी अभी जहाँ भी देखो वहाँ भगवान को देख सकता हूँ। आपके भगवान को भी मैं देख सकता हूँ और परमात्मा को भी मैं देख सकता हूँ। आपमें भगवान परमात्मा के रूप में व्यक्त नहीं हुए हैं। भगवान के रूप में हैं और दूसरा, जो परमात्मा के रूप में हैं, उन्हें भी मैं देख सकता हूँ। अत: वर्ल्ड यों समझने जैसा है, गप्प नहीं है। यह विज्ञान से खड़ा हो गया। अतः आपको इन्डिपेन्डेन्सी ढूँढनी चाहिए।
भगवान नहीं लेकिन मेरी भूलें ही मेरी ऊपरी हैं
प्रश्नकर्ता : दादा, आपने तेरह साल की उम्र में ललकारा था कि मेरा कोई ऊपरी नहीं है, तो क्या तभी से आपने अपनी पिछली सारी गलतियों को खत्म कर दिया था।