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ज्ञानी पुरुष (भाग-1)
क्या यह ऐसी खोज है कि पूरे हिन्दुस्तान को माफिक आए? यह तो पतन की और ले जाएगा! तब लोग कहते थे कि 'अब लोग बिगड़ जाएँगे'। तब मैं भी कहने लगता था कि 'लोग बिगड़ जाएँगे'। लेकिन वह कुछ ही समय तक, साल-दो साल तक मुझे ऐसा रहा होगा कि हिन्दुस्तान को खराब करने वाली चीज़ है यह।।
कलियुग आगे बढ़ रहा है प्रश्नकर्ता : तो आप सिनेमा देखने गए थे?
दादाश्री : मैं बीस साल का था तब 1928 में एक बार सिनेमा देखने गया था। उस समय साइलन्ट सिनेमा थे, टॉकीज़ नहीं था। वहाँ पर मुझे प्रश्न हुआ था कि 'अरेरे! इस सिनेमा से अपने संस्कारों का क्या होगा? और क्या दशा होगी इन लोगों की?' सिनेमा देखने तो कई बार गया था, लेकिन एक बार ऐसा विचार आ गया कि यह सिनेमा तो अपने हिन्दुस्तान के सभी संस्कारों को ही हीन कर देगा!
पहले मैं सिनेमा का विरोधी था कि इससे तो लोगों के संस्कार खत्म होते जा रहे हैं। मुझे सिनेमा पर गुस्सा आता रहता था कि यह कलियुग घुस रहा है, आगे बढ़ रहा है, सिनेमा देखकर। फिर तो सिनेमा फैलने लगे और सिनेमा में लोगों की रुचि बढ़ी, तब मैं समझ गया कि कलियुग तेज़ी से आ रहा है। रात को चने लेने भेजो तो नहीं मिलते हैं न! दो बजे?
प्रश्नकर्ता : दो बजे नहीं मिलते, बारह बजे तक मिलते हैं।
दादाश्री : चने तो हैं। बेचने वाले भी हैं, सब है लेकिन काल बदल गया है न! क्या हुआ? चने वाले की दुकान पर जाकर अगर हम आवाज़ लगाएँ कि 'भाई, चने दो'। तो कहेगा, 'सुबह आना, भाई। अभी यह कोई समय नहीं है'। इसी प्रकार समय बदलता है न! महावीर भगवान को गए पच्चीस सौ साल पूरे होने को आए। तब ज्ञानी पुरुष नहीं मिले थे। मिला था कोई? क्योंकि काल बदल गया है अब। लेकिन दुनिया एकदम से बदल या पलट नहीं जाती है। उसके बाद उसका असर होता रहता है। अब उल्टे असर हो रहे हैं।