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ज्ञानी पुरुष (भाग-1)
प्रश्नकर्ता : आप उस घोड़ी पर नहीं बैठे थे?
दादाश्री : घोड़ी पर तो बैठा था न! बाकी, उनका वैभव देखा था, उन्होंने वैभव भोगा था बस इतना ही। पर्सनालिटी और तेजस्वी आँखों की वजह से काँपते थे
सभी
मेरे बड़े भाई तो बहुत प्रभावशाली थे। उनकी हाई पर्सनालिटी थी, 'मेन ऑफ पर्सनालिटी'। झवेर बा की कोख से सिंह जैसा पुरुष जन्मा था! वे दिखते भी सिंह जैसे थे! पुण्य भी था न, ज़बरदस्त पाटीदार जन्मे थे। यदि सौ-दो सौ लोग बैठे होते तो हैरत में पड़ जाते थे, डर जाते थे उन्हें देखकर। ऐसी ज़बरदस्त पर्सनालिटी। लोग उनकी आँखें देखकर डर जाते थे, बड़े-बड़े ऑफिसर भी। मैं भी डरता था और मेरे फादर भी डरते थे।
उनका इतना प्रभाव था कि बाहर पाँच-पचास लोग खड़े होते और वे बाहर निकलते न, तो सब इधर-उधर हो जाते थे, यों ही। सूबेदारसरसूबेदार (कलेक्टर) भी उन्हें देखकर काँप जाते थे। फौजदार (पुलिस ऑफीसर), वगैरह इधर-उधर हो जाते थे, उनकी आँखें और चेहरा देखकर। उनका चेहरा ही ऐसा था। उनके चेहरे की चमक देखकर लोग चौंक जाते।
__ हमारे भादरण का हर एक पाटीदार उन्हें देखते ही यों काँप जाता था। वे जब चलते थे तो उनकी नज़र पड़ते ही, सिर्फ उनकी दृष्टि से ही सौ लोग इधर-उधर खिसक जाते थे ऐसी थी उनकी लाइट।
उनकी आँखें तो बहुत प्रतापी थीं, सिंह जैसी तेजस्वी। उनकी आँखें देखते ही यहाँ खंभात में कोई पैसन्जर खड़ा नहीं रहता था। आँखें इतनी ज़बरदस्त, ऐसे सख्त इंसान थे। उनकी आँखों में इतना अधिक तेज था, मैं भी घबराता था न, जैसे सियार घबराता है न, उस तरह से ऐसेऐसे होता था! उनके साथ ज़्यादा नहीं बोल सकते थे, बातचीत नहीं कर सकते थे।