________________
[10.7] यमराज के भय के सामने शोध
निकाल दिया ! तो भाई ऐसे क्यों मार दिया ? लोगों से कह दो न, कि अंत में तो नियमराज हैं, यमराज शब्द क्यों डाल दिया ? अब पहले से नियमराज कहा होता तो क्या कोई परेशानी थी ?
409
हेतु पाप करने से रोकने का
प्रश्नकर्ता : नहीं, तो इस तरह यमराज का गलत भय क्यों घुसाया होगा पहले के लोगों ने ?
दादाश्री : यमराज का भय क्यों दिखाते थे लोग ? तो क्या पहले यमराज कहने वाले लोग पागल थे ? पागल नहीं थे । नियमराज के बजाय यमराज क्यों रखा उन लोगों ने ? दुःखी करने के लिए नहीं, मूल हेतु खराब नहीं था ये। जो लोग चोरी - लुच्चापन करने से नहीं डरते थे, वे जब पाप करते थे तब लोग क्या कहते थे ? ये ब्राह्मण क्या करते थे ? 'जब तू मरेगा न, तो यमराज आएँगे और तुझे यों मारते-मारते वहाँ ले जाएँगे'। उसके मन में भय डाल दो, ताकि वह गलत कर्म कम बाँधे । यानी कि दबाव डालने के लिए लोगों से यह कहा था ।
प्रश्नकर्ता : मर्यादा में रखने के लिए।
दादाश्री : वे ऐसा समझते हैं कि, 'यह पब्लिक जो भी गलत काम करती है न, तो अगर हम यमराज का नाम डाल देंगे तो वे गलत काम करने से रुक जाएँगे' । हाँ, अतः वह कुछ समय तक चला। कुछ लाभ रहा लेकिन बाद में उससे नुकसान हो गया। कभी भी गलत चीज़ से लाभ नहीं लेना चाहिए। ये सारे रूपक उल्टे पड़े । अब यदि उन रूपकों को नहीं समझेंगे तो इंसान का क्या होगा ?
पाप कम नहीं हुए और यमराज रह गए
ऐसा करने से लोगों के पाप कम नहीं हुए और यमराज रह गए। उल्टा डाला तो गलत काम तो चलते रहे और यह भी चलता रहा। गलत काम तो जारी रहे और यह भी जारी रहा । यदि पाप कम हुए होते तो मैं समझता कि यह दिया हुआ रूपक काम में आया । पाप बढ़े और