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ज्ञानी पुरुष (भाग-1)
खाना खाने, खाना खाने चलिए न! वहाँ पर खाना तैयार है और सब इंतज़ार कर रहे हैं'। तब अगर वे कहें कि, 'नहीं, अभी खाना खाने नहीं आऊँगा। जाओ'। तब वे लोग एक-दो बार विनती करेंगे, और फिर? फिर यदि टेबल पर खाना लग जाए तो शुरू ही कर देंगे न!
दुनिया तो चलती ही रहेगी। दुनिया ज़रा देर के लिए भी ठहरती है क्या? अगर आप रूठ जाओ तो क्या गाड़ी रूठे हुए को मनाने आएगी? बात को समझने की ज़रूरत है। साहब, क्या बारात वाले खड़े रहेंगे?
प्रश्नकर्ता : नहीं, कोई भी खड़ा नहीं रहता।
दादाश्री : अगर लड़के की शादी करवाने जा रहे हो, और आप रूठ जाओ, तो क्या वे आपके लिए दो दिन तक बैठे रहेंगे? नहीं! ऐसी है यह दुनिया!
___ कुल मिलाकर यह व्यापार है नुकसान का
बचपन में एक-दो बार रूठकर देखा, लेकिन उससे नुकसान ही हुआ। तभी से मैंने रूठना छोड़ दिया।
___ मैंने यह सार निकालकर देख लिया कि रूठने में बिल्कुल नुकसान है, यह व्यापार ही बिल्कुल गलत है। इसलिए फिर ऐसा तय ही कर लिया की कभी भी नहीं रूठना है। कोई हमें चाहे कुछ भी करे लेकिन रूठना नहीं है क्योंकि यह बहुत ही नुकसानदायक चीज़ है। बहुत ही बड़ा नुकसान है यह तो।
अब तो, यदि आप मुझे गालियाँ दो फिर भी मैं आपको विनय से बुलाऊँगा। आप गालियाँ दो और मैं विनय से बुलाऊँगा, हम दोनों का धर्म ऐसा है क्योंकि मैं जानता हूँ कि आपमें तो कमज़ोरी है ही और यदि मुझ में भी कमजोरी होगी तो फिर हम कहाँ के ज्ञानी? गालियों के सामने यदि मैं भी गालियाँ दूँ और रूठ जाऊँ तो ज्ञानी कैसा? रूठना नहीं चाहिए, एक्सेप्ट करना चाहिए।