Book Title: Gnani Purush Part 1
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Dada Bhagwan Aradhana Trust

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Page 459
________________ 394 ज्ञानी पुरुष (भाग-1) थे, वहीं से होकर जाते थे। मूल रूप से तो डर नहीं था इसलिए ऐसा अधिक सेट होता था। प्रश्नकर्ता : हाँ। दादाश्री : मूल रूप से निडरता। मुख्य गुण निडरता थी। किसी का डर नहीं, लुटेरे हों फिर भी। प्रश्नकर्ता : दादा, अभी जो निडरता का गुण है वह कौन सा है, पौद्गलिक गुण है या आत्मा का गुण? दादाश्री : वह तो पुद्गल का ही गुण है। आत्मा में तो ऐसा गुण होता ही नहीं है न! मूल रूप से क्षत्रिय स्वभाव, नहीं झुकने की आदत। प्रश्नकर्ता : ठीक है। दादाश्री : लेकिन जब समय आता है तब झुकने पर मजबूर कर देता है! दो दिन अगर भूखा रखा जाए न, तो पूरा ही झुकने लगता है। इन सब जंगली जानवरों को किस तरह वश में करते हैं ? भूखा रखकर वश में करते हैं। ऐसे परमाणु भरे हुए होते हैं न, लेकिन मूल रूप से क्षत्रिय। प्रश्नकर्ता : मूल रूप से, परमाणुओं की वजह से ऐसा आकर्षण रहता है। दादाश्री : वैसे परमाणु भरे हुए थे। बात सुनते ही, कोई ललकारे तो उसमें शूरवीरता आ जाती है। प्रश्नकर्ता : हाँ, उसमें शूरवीरता आ जाती है जबकि डरपोक घर में घुस जाते हैं। दादाश्री : हाँ, ऐसा है। वे हैं कल्पना के भूत प्रश्नकर्ता : आपमें ऐसा डर नहीं है, इसलिए दूसरों के डर निकालते हैं!

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