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[7] बड़े भाई
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हम दोनों में इतना ही फर्क था कि मुझे हिंसक भाव अच्छा नहीं लगता था। मेरी सिर्फ दहाड़ होती थी, उनके जैसी दहाड़! उन्हें भी पीछे छोड़ दे, ऐसी दहाड़ निकलती थी।
उनके शरीर की शक्ति भी कैसी थी कि एक व्यक्ति को पीछे से धौल लगाई थी तो छः महीनों तक उसका खून जमा हुआ रहा। सिर्फ एक हाथ से धौल लगाई, उतने में ही खून जम गया। तो कैसी होगी उनकी कलाई-वलाई!
बहुत विषम स्वभाव, तो सब जगह रौब जमाते थे
प्रश्नकर्ता : जब कांति भाई हमें आपके घर भेजते थे तो हम भी हर बार बहुत घबराते थे।
दादाश्री : हाँ, वे भी घबराते थे। कांति भाई, भाँजे भाई को भेजते थे। एक बार वे कांति भाई के पीछे भी जूता लेकर दौड़े थे। 'मेरे भाई को बिगाड़ रहा है तू' ऐसा कहा था। अगर मेरे भाई को बुलाने आया तो तेरी खैर नहीं! उन्होंने कांति भाई पर भी जूता फेंका था। वे भले आदमी तो भाग गए। क्या हो सकता था फिर? क्या करते? कांति भाई भी बहुत विषम, लेकिन क्या हो सकता था? ये तो बहुत विषम पुत्र, भादरण गाँव में तो ऐसा ढूँढना मुश्किल हो गया था। अंत तक, सब पर भारी पड़े थे क्योंकि उनका कामकाज बहुत सख्त था, बहुत विषम कामकाज।
प्रश्नकर्ता : सख्त, सख्त।
दादाश्री : मणि भाई बंदूक रखते थे। वे बाबरिया की हेल्प करते थे। अपने यहाँ बाबरिया नाम का लुटेरा था, वह वहाँ पड़ा रहता था। बाबरिया वहाँ उनके घर में घुस जाता था क्योंकि उन्हें खुद को कोई हर्ज नहीं था न, उनकी तो बाबरिया से दोस्ती थी। लेकिन मुझे यह सब अच्छा नहीं लगता था। हिंसक चीज़ मुझे अच्छी नहीं लगती थी। रौब जमाना अपना काम नहीं है। वे बंदूक चलाकर मार देता था। इनके साथ नहीं जमेगी, इन बड़े भाई के साथ।