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[9] कुटुंब - चचेरे भाई-भतीजे
ताकि फिर मुझे डिप्रेस नहीं कर सके न ! तो फिर क्या हम उसे नहीं पहचानते थे? पूरी तरह से पहचानते थे।
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इस तरह से कहकर निबेड़ा ला देते हैं लेकिन ऐसा नहीं कहते कि 'हम ऐसे नहीं है'। शुरू से ऐसा है कह देते हैं ताकि वह समझे कि ये पहले ऐसे नहीं थे, फिर भी ऐसा कह रहे हैं ! और उसका कोई अर्थ ही नहीं है। वह बात को उड़ा ही देगा । वह ऐसा मानता है कि मुझ में कुछ गलत है । ' तो भाई, तुझमें सही क्या है ? यों ही गप्प, बिना समझे बोल रहा है !' 'आप ज़रा ऐसे हो गए हैं, आप ऐसे हो गए हैं। आप अब कुटुंब के प्रति प्रेम भाव नहीं रखते, शादियों में नहीं आते'। तो फिर मैं शादी वगैरह में जाकर आता हूँ । 'हाँ, चाचा आए थे । चाचा बहुत अच्छे इंसान हैं !' तो भाई, तू वही का वही है, तेरे बजाय तो इस स्कूल के सर्टिफिकेट अच्छे ! जिंदगी भर पास ( उत्तीर्ण) है ऐसा ही दिखाते हैं । मैट्रिक पास लिखते हैं या नहीं लिखते ? और आप तो घड़ी भर में अच्छे और घड़ी भर में बुरे ! तो यह जगत् तो इसी तरह चलता रहेगा लेकिन हम समभाव से निकाल कर देते हैं, बहुत अच्छी तरह।
चचेरे भाईयों का गुण, वे टेढ़ा बोलते हैं
वह तो एक जगह हमारे गाँव में हमें सत्संग के लिए बुलाया था, तो वहाँ सत्संग कर रहे थे तब हमारे एक चचेरे भाई टेढ़ा-मेढ़ा बोलने लगे। उन्होंने बैठे-बैठे बोलना शुरू किया कि 'ये बहुत बड़ी रकम दबाकर बैठे हैं, खूब दबाकर बैठे हैं इसलिए सत्संग हो रहा है आराम से'। क्या कहा ?
प्रश्नकर्ता : खूब दबाकर बैठे हैं ।
दादाश्री : मैं समझ गया कि यह इंसान चचेरेपन के गुण की वजह से ऐसा कह रहा है। उससे सहन नहीं हो पा रहा है। मैंने कहा, 'भाई, आपको क्या पता मैं क्या दबाकर बैठा हूँ? आपको क्या पता कि मेरे बैंक में क्या है ?' तब उसने कहा, 'अरे, दबाए बगैर तो ऐसा कह ही नहीं सकते न, सत्संग होगा ही कैसे ? ' मैंने कहा, 'बैंक में जाकर पता