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ज्ञानी पुरुष (भाग-1)
सकता'। तो पूछते हैं, 'क्यों नहीं दे सकते?' मैंने कहा, 'अगर कोई भला और दयालु इंसान हो और वह किसी को एक लगाए तो वह कैसी लगाएगा?'
प्रश्नकर्ता : हल्की।
दादाश्री : हल्के से मारेगा। तब उन्होंने कहा, 'इसलिए ये लुटेरे बन गए हैं। आपने इसके लिए इन्हें कुछ कहा नहीं!' मैंने कहा, 'वे यदि लुटेरे बन जाएँगे तो उन्हें खुद को ही नुकसान है। मेरे जैसा मिलने पर उनका खुद का काम ही जोरदार चलेगा, तब फिर उन्हें कोई न कोई उनसे भी बड़ा मिल आएगा। जो उनके घूटने तोड़ देगा। तब तो वह रुकेगा ही न? रुके बगैर रहेगा ही नहीं न!'