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[7] बड़े भाई
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भी ऐसा करना पड़ता था। क्योंकि भाई का ऐसा सब खर्चा था। ब्रान्डी का झंझट था सारा! मेरे स्वतंत्र, अलग हो जाने के बाद मुझ पर कुछ भी बुरी नहीं बीती। बड़े भाई की शराब छुड़वाने के लिए ज़बरदस्ती नहीं की
- हमारे अलग हो जाने के बाद दो-तीन लोग मेरे पास आए और मुझसे कहा कि 'आपके भाई की शराब तो छुड़वा दो'। मैंने कहा, 'अब अगर वे अपने आप छोड़ दें, तभी ठीक है, ज़बरदस्ती करने से परेशान हो जाएँगे।
__ मैंने तो ऐसे सब तूफान देखे हैं लेकिन यह तरीका अच्छा है न? वर्ना मोह चढ जाता न? लेकिन परेशानियाँ तो सब तरह की हुई थीं, सभी तरह की परिस्थितियाँ देखीं। उन्होंने सुख भोगा और दस सालों तक दुःख भी आ पड़ा, वह भी मैंने देखा।
प्रश्नकर्ता : किस चीज़ का दुःख आ पड़ा?
दादाश्री : ज़रूरत की चीजें कम पड़ जाती थीं। मेहमान आ जाएँ तो माँगना-करना पड़ता था। पहले खूब मेहमान आते थे तो चल जाता था लेकिन फिर सभी मेहमान भी समझ जाते थे कि कुछ कम पड़ रहा है! उधार लाने का समय आ गया था। यह सब अच्छा नहीं कहा जाएगा न!
प्रश्नकर्ता : कौन से साल में, दादा? दादाश्री : 1930 से 1936 तक। प्रश्नकर्ता : 1930 से 1936 तक आप साथ में काम करते थे?
दादाश्री : तब मैं साथ में काम करता था। उसके बाद अपना अलग व्यवसाय करने लगा।
प्रश्नकर्ता : अलग व्यवसाय ? दादाश्री : व्यवसाय अलग होने के बाद भी मुझे देना पड़ता था।