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ज्ञानी पुरुष (भाग-1)
उनका बिज़नेस इतना नहीं चलता था इसलिए फिर मुझे देना पड़ता था। फिर 1939 में उनसे अलग हो गया।
मेरा हित इसी में है कि भाई को सुख हो बाईस-तेईस साल की उम्र में एक व्यक्ति हम दोनों के बीच में यों ही दरार डालना चाहता था। वे व्यक्ति मुझसे पच्चीस साल बड़े थे, वे दरार डाल रहे थे। यों तो अच्छे इंसान थे। अब, वे जान-बूझकर दरार नहीं डाल रहे थे। वे मुझसे ऐसा कहते थे कि 'इसमें तेरा हित नहीं है'। मैंने कहा, 'मेरा हित इसी में है कि मेरे भाई को सुख हो। मेरा सुख मेरी जायदाद बचाने में नहीं है। वे बुजुर्ग तो अवाक् रह गए। यानी उनके कहने से पहले ही मैं समझ गया कि ये दरार डालने आए हैं।
__ यदि ऐसी लत नहीं होती तो... मणि भाई को पीने की लत पड़ गई, वह बहुत बुरा हुआ। पीना सीखे रौब मारने के लिए, और उसी वजह से रौब जमाया, वर्ना हमारे गाँव में उन जैसा कोई पटेल नहीं था।
__ ऐसा तो हमारे गाँव के कई लोगों ने कहा कि, 'अपनी पूरी जाति में बस यही एक मर्द है। यदि यह एक बुरी आदत न होती तो यह अपने गाँव का सब से बड़ा व्यक्ति माना जाता। यदि पीते नहीं तो अपनी जाति में वे नामी होते'।
प्रश्नकर्ता : हाँ, नामी होते। लेकिन वह थोड़ा पीते थे या बहुत?
दादाश्री : ज़्यादा। बहुत ज़्यादा पी लेते थे कई बार। टोपी भी भूल जाते थे। छोटा भाई ने भी मणि भाई से कहा कि 'मणि भाई, अगर आपको यह लत नहीं होती तो आप अपने गाँव के ज़बरदस्त नेता माने जाते'। लेकिन फिर ज़रा सी वह बुरी आदत पड़ गई न, तो सबकुछ बिगड़ गया।
स्पिरिचुअल लेवल पर से उल्टी लाइन पर नहीं तो एक्सेप्शनल (असाधारण) थे, सिंह जैसे। हमारे बड़े भाई