________________
[8.4] भाभी के उच्च प्राकृत गुण
279
को रखा था, उसी तरह से मैंने इन्हें रखा था। वे खुद ऐसा कहती थीं कि, 'कहना पड़ेगा मेरे देवर के बारे में!'
प्रश्नकर्ता : बहुत कम परिवारों में ऐसा देखने को मिलता है। मिलेगा ही नहीं न, बहुत ही कम। इस कलियुग में तो मिलता ही नहीं
पावरफुल बुद्धि से समझाती थीं शास्त्र दादाश्री : हमारी भाभी बहुत पावरफुल थीं। उनका ब्रेन बहुत ज़बरदस्त था इसलिए जब बातचीत करती थीं न, तो कितनी अच्छी ! बुद्धि बढ़ गई थी न! किसी के साथ बातचीत करती थीं न, तो उसकी भूल ढूँढ निकालती थीं। बुद्धि इतनी अच्छी थी! ऐसी, वकील जैसी बुद्धि, जो पुरुषों की भी गलती पकड़ ले!
प्रश्नकर्ता : लेकिन वहाँ क्रमिक में तो बुद्धि की ही ज़्यादा ज़रूरत है न?
दादाश्री : हाँ, उनकी बुद्धि ज़बरदस्त थी। यदि पचास-सौ स्त्रियाँ बैठी हों तो उन्हें उपदेश देने लगती थीं। वे बहुत अच्छा उपदेश देती थीं
और सभी शास्त्र समझा सकती थीं क्योंकि शुरू से ही उन्हें शास्त्रों का बहुत कुछ आता था। पहले से ही दिमाग़ अच्छा चलता था। अभी भी, जहाँ हमारा नया घर बनाया है न, वहाँ पाँच-पचास स्त्रियाँ इकट्ठी करके खुद सत्संग करवाती हैं, सभी को समझाती हैं। उन्हें बहुत समझ है। वे शास्त्र के शास्त्र समझा देती हैं । तो ये सभी पचासों स्त्रियाँ उनके पीछेपीछे घूमती रहती हैं।
सत्संग समझाना क्या कोई ऐसी-वैसी बात है? मुझसे कहती हैं, 'सब ने मेरे यहाँ इकट्ठे होकर पूरी रात भक्ति की'। मैंने कहा, 'अच्छा है। करो'।
प्रश्नकर्ता : रोज़ हमारे वहाँ से जाते हैं सब। दादाश्री : हाँ, सभी जाते हैं। बल्कि अच्छा हो गया। यह तो