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[9] कुटुंब-चचेरे भाई-भतीजे
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तो तैयार ही बैठा होता था। क्या वहाँ तक आप उसकी इज़्ज़त उतारोगे कि वह माँगने लगे? यदि देने ही हैं तो उसे माँगने मत देना। वर्ना, 'नहीं देने हैं,' ऐसा कह दो। सही है या गलत? लेकिन लोग क्या कहते हैं कि, 'वह माँगेगा तो हम दे देंगे, वर्ना हम नहीं देंगे'। अरे भाई, माँगने से तो उसकी सात पीढ़ियों की इज़्ज़त जाएगी, नाक कट जाएगी! ये तो क्षत्रिय हैं, इसलिए चाहे भिखारी जैसे हों फिर भी...
प्रश्नकर्ता : माँगता ही नहीं है कोई।
दादाश्री : और हिंद के आर्य लोग हैं, आर्य आचार-विचार वाले हैं। भिखारी जैसे हों फिर भी हाथ नहीं फैलाते। उसका सगा भाई आक्षेप लगाता था, फिर भी हम प्रेम देते थे
उसके बाद एक दिन मामा के बेटे ने कहा, "मेरे एक परिचित आने वाले थे। उन्हें मिलने जाना था तो कल मेरे बड़े भाई की नई धोती पहन ली थी। तब मेरे बड़े भाई ने कहा, 'चोरी करके ले गया, चोरी करके ले गया', ये ऐसा कर रहे हैं।" उसके बाद उनके बड़े भाई से कहा, 'अरे, पहनने के लिए धोती ले गया उसे चोरी कहते हो? अरे, कैसे लोग हो?' तब मैंने उसे कहा, 'मेरी धोती ले जाना। अगर तेरे पास नहीं हो तो मेरी धोती ले जाना। यहाँ मेरे अलमारी में से ले जाना। अगर सगे भाई का मन ऐसा हो तो उसका क्या करें?'
प्रश्नकर्ता (शंकर भाई) : अरे, एक दिन मुझसे कह रहे थे न, कि 'तू ऐसा कह देना कि मैं रावजी भाई का भाई नहीं हूँ।
दादाश्री : उनकी इज्जत बचाने के लिए ऐसा भी कह देते थे। ये ज़रा श्यामवर्णी दिखाई देते हैं, और उनके भाई गोरी गाय जैसे दिखाई देते हैं। तो फिर मैं उन्हें डाँटता था। मैंने कहा, "कैसे इंसान हो? बड़ेबड़े ऑफिसर मेरे यहाँ आते हैं, फिर भी मैं कह देता हूँ कि ये मेरे मामा के बेटे हैं और आपको शर्म आती है? सगे भाई हो फिर भी शर्माते हो? ऐसा कह देना चाहिए कि, 'यह मेरा सगा भाई है'। श्यामवर्णी है तो क्या गुनाह कर लिया?" वह चाय लेकर आता है तब भी मैं कहता हूँ, रिश्ते