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[9] कुटुंब-चचेरे भाई-भतीजे
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दादाश्री : नहीं दिखेगा बुरा? जब उनकी शादी हुई थी न, तब घर के सभी चाचाओं ने क्या कहा? 'आप इसे ले जाकर क्या करोगे?' तब उन लोगों ने कहा, 'हम बेटी उन्हें नहीं दे रहे हैं, इस चौखट को दे रहे हैं। अभी चारों बेटे आराम से कमा रहे हैं, सभी ने कमाया इसलिए उन्हें कमाने की ज़रूरत ही नहीं रही न! और छ: बेटियाँ हैं उनकी। लोग कहते हैं, 'इतनी बेटियों की शादी कैसे करोगे?' मैंने कहा, 'अरे भाई, उनके पीछे मत पड़ना। उनके पीछे पड़कर क्या मिलेगा?'
प्रश्नकर्ता : वे कह रहे थे कि "मैंने कुछ भी नहीं कमाया। मैंने तो कुछ भी नहीं किया जिंदगी में और मेरी छः बेटियाँ हैं। सब चिंता करते हैं लेकिन दादा कहते हैं कि 'तुझे पता भी नहीं चलेगा और तेरी बेटियों की शादी हो जाएगी।" फिर उन्होंने कहा कि, 'मेरा सब इसी तरह हो रहा है।
दादाश्री : ऐसा ही होगा न! वर्ना पाटीदार की बिरादरी में छ: बेटियाँ हों तो ज़हर पी लेना पड़ता है।
प्रश्नकर्ता : हाँ, जहर पी लेना पड़ता है। लेकिन यह तो दादा हैं। इसे नापने का तराजू ही अलग है न?
दादाश्री : उनका माल बहुत उच्च प्रकार का है लेकिन उन्हें वह सबकुछ करना नहीं आया और हड्डियाँ झुकी नहीं। ज़रा सी महेनत करनी पड़े तो, वह अच्छा नहीं लगता था। आप किसी को चाय पिलाने का कहो, तो जितनी आप कहो उतनी पिला देंगे लोगों को। जब सभी यहाँ से तरसाली यात्रा के लिए जाते हैं न तो उन्हें बुला लाते हैं। 'चलो हमारे यहाँ, यह दादा का ननिहाल है,' तो बुलाकर चाय पानी पिलाते थे लोगों को। सारे दूध का उपयोग उसी में कर देते थे। इतना तो आता है न! जिसे यह आता है, उसे वह सब नहीं आएगा तो चलेगा।
दादा को सौंपा तो सब रास्ते पर आ गया वे बाहर का काम नहीं करते थे और मौज-मज़े करते थे बस,