________________
[9] कुटुंब - चचेरे भाई-भतीजे
आपको समझ में आ रहा है ? संयोगवश ऐसा हो जाता है या नहीं ? जो संयोगवश होता है उस पर प्रेजुडिस (पूर्वग्रह ) रखना, बहुत बड़ा गुनाह है। मैं तो प्रेजुडिस रखता ही नहीं था। प्रेजुडिस क्यों रखना है? इस जुडिस के कारण ही तो यह संसार है ।
319
किसी संयोगवश कोई हमारे किसी बुजुर्गं से कहे, 'चाचा, मुझे दो सौ रुपए दीजिए न, मुझे बहुत तकलीफ है'। अब यदि चाचा अहंकारी हों तो मना नहीं कर सकते उसे और यहाँ घर पर बेटे के सामने उनकी कुछ चलती नहीं है। तब वे क्या करेंगे ? बेटे की जेब में से निकाल लेंगे। अब क्या वे चोर हैं ? क्या हैं ? संयोगों के अधीन हैं ।
यदि संयोगों के अधीन कोई व्यक्ति कुछ करे तो उसे हम गुनाह नहीं मानते। जो हमेशा के लिए चोर हो उसका हम गुनाह मानते हैं । उसके लिए तो हमारा सर्टिफिकेट है ही, लेकिन वह 'चोर का सर्टिफिकेट नहीं। उसके प्रति हमें अभाव नहीं रहता । आपको क्या लगता है, यह नियम काम में आएगा ?
प्रश्नकर्ता : हाँ, ठीक है ।
हम एक ही तरह के अभिप्राय वाले, हम नहीं बदलते हैं सर्टिफिकेट
दादाश्री : हमारे नियम आपके नियमों से अलग हैं। हम एक अभिप्राय वाले हैं। एक ही प्रकार का अभिप्राय, अभिप्राय नहीं बदलते हैं। अतः हम क्या करते ? मान लो कोट उतारकर घर में रखा है और उसमें दो सौ रुपए पड़े हैं । मेरा ऐसा अभिप्राय है कि यह व्यक्ति कभी भी पैसे नहीं लेगा, चोरी नहीं करेगा। अब उस व्यक्ति को किसी ने जेब में हाथ डालते हुए देख लिया और मैंने नहीं देखा। फिर मुझे तो वापस बाहर जाना पड़ा। बाहर जब पैसों की ज़रूरत पड़ी तब जेब से पैसे नहीं निकले। बाहर जाकर वापस आने पर मैंने घर पर पूछा, 'किसी ने इसमें से पैसे लिए हैं ?' तब उन्होंने कहा कि, 'नहीं, हमने नहीं लिए हैं। क्या है ?' तब मैं कहुँगा, 'नहीं, कुछ भी नहीं, कुछ नहीं। मैंने अंटी